Exclusive Video Report : जंगली जानवरों से परेशान पहाड़ के ग्रमीणों ने रात के अंधेरे में निकाला ये अनोखा तरीका

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इन videos को देखकर आप गफलत में पड़ सकते हैं। रात के अंधेरे में ढोल–दमाऊ और बाजे–भोंकारे बजा रहे मेरे गांव के ये लड़के कोई जश्न नहीं मना रहे, बल्कि खेतों में लहलहा रही फसल को जंगली जानवरों से बचाने की असफल कोशिश कर रहे हैं।

मुझे तो लगता है पहाड़ के किसान अपनी फसल बचाने को लेकर जिस तरह से जद्दोजहद कर रहे हैं, उस कारण आने वाले समय में वो पूरी तरह खेतीबाड़ी करना ही छोड़ देंगे। बंदर दिन को फसल उजाड़ रहे हैं तो सुअर रात में खेतों को तहस–नहस कर रहे हैं। हालत ऐसे हैं कि ग्रामीण आजकल दिनरात बारी–बारी से बंदर और सुअर भगाकर अपनी फसलों की रक्षा कर रहे हैं। ऐसे में न सिर्फ उनका वक्त जाया हो रहा है बल्कि मानव श्रम की भी बर्बादी हो रही है। कुल मिलाकर पहाड़ी इलाकों में कृषि अब घाटे का सौदा साबित हो रही है। दिन के उजाले और रात के अंधेरे में दोतरफा परेशानी आने से किसान काफी चिंतित हैं और दो जून की रोटी के लिए मोहताज हैं। दुःख इस बात का है कि “छोटे” काश्तकारों की इस “बड़ी” समस्या से सरकार ने मुंह फेर रखा है। सबकुछ जानते हुए भी सरकार लापरवाह बनी हुई है। किसान हैरान हैं और परेशान भी। उनके पास सरकार को कोसने के सिवाय कोई चारा शेष नहीं है।

लेख : श्री दीपक फर्सवान (वरिष्ठ पत्रकार उत्तराखंड )

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