Big Breaking: तो देश के ‘हीरो’ बन जाएंगे मुख्यमंत्री ‘धामी’

Slider उत्तराखंड

… तो देश के ‘हीरो’ बन जाएंगे ‘धामी’

उत्तराखण्ड में राजनीति से जुड़े तमाम मिथक तोड़कर पुष्कर सिंह धामी लगातार दूसरी बार प्रदेश के मुख्यसेवक बने हैं। बतौर मुख्यमंत्री उनके ओर से की जा रही एक पहल समूचे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। ये पहल है ‘उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करना’। उनकी कोशिश अगर कामयाब होती है तो निश्चित रूप से पूरे देश के लिए ये मील का पत्थर साबित होगी।
समान नागरिक संहिता का मतलब है सभी धर्मों के लिए एक ही कानून। इसके जरिए हर धर्म के लोगों को एक समान कानून की परिधि में लाया जाएगा। शादी, तलाक, संपत्ति और गोद लेने समेत तमाम विषय इसमें शामिल होंगे। भले ही कुछ लोग इसे राजनीतिक मुद्दा समझें और सियासी मोड़ दें, लेकिन तमाम हाई कोर्ट (खासकर दिल्ली हाई कोर्ट) से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने के पक्ष में हैं। सुप्रीम कोर्ट मौजूदा केंद्र सरकार से इस संबंध में अब तक की गई कोशिशों के बारे में पूछ चुका है, जिसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि भारतीय विधि आयोग से राय मांगी गई है।
इधर, भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि उत्तराखण्ड हो या कोई भी राज्य, वहां की सरकार ‘समान नागरिक संहिता’ को लागू करने की अधिकारी नहीं है, यह अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को (संविधान की धारा 44 और 12 के तहत) है। ऐसे में समान नागरिक संहिता को संसद के जरिए ही लागू किया जा सकता है। लेकिन, कुछ लोग इस मामले में गोवा का उदाहरण देते हैं। गोवा देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता लागू है। लेकिन इस राज्य को अपवाद माना गया है। इसलिए अपवाद माना गया है क्योंकि गोवा में 1961 से पुर्तगाल सिविल कोड लागू है इसलिए वहां ये व्यवस्था मान्य है। फिर भी इस मसले में राज्यों के अधिकार को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। अब मुख्यमंत्री धामी का समान नागरिक संहिता को लेकर आगे का स्टैंड काफी अहम होगा। चूंकि केंद्र में भी भाजपा की ही सरकार है और वो चुनावी घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा भी कर चुकी है, इसलिए उम्मीद तो बनती है। धामी अगर इसमें सफल हो गए तो राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी विशिष्ट छवि बन जायेगी और जनहित का कानून भी लागू हो जायेगा।

दीपक फर्सवाण , वरिष्ठ पत्रकार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *