पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ही सीएम रहते उस फाइल को मंजूरी दी थी, जिसमें प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा अध्यक्ष होते हुए विधानसभा में 72 पदों पर नियुक्तियों की जरूरत प्रकट की थी। उन्होंने मंजूरी देने के साथ ही एक बंदिश भी हाथों हाथ लगा दी थी कि भर्तियाँ उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के जरिये होनी चाहिए। भर्तियाँ लेकिन किस अंदाज में हुई थी ये अब जग जाहिर हो चुकी है। माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुलाक़ात के दौरान पीएम मोदी को इस पूरे खेल के बारे में पूरा स्पष्टीकरण दे दिया है ।
पीएम मोदी से वक्त हासिल करना अच्छे-अच्छों के लिए बहुत बड़ी चुनौती होती है। परन्तु पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को पूर्व सीएम होने के बावजूद वक्त दिया जाना सिर्फ और सिर्फ दो वजहों से मुमकिन माना जा रहा है। अधिकांश भर्तियों का काल उनके ही सीएम रहने के दौरान का है। मुमकिन है कि हाई कमान इस बाबत सही तस्वीर जानना चाहता हो। दूसरा ये कि उनसे मोदी भर्तियों और पार्टी के लोगों के खेल के बारे में फीड बैक लेना चाह रहे हों।