देहरादून ;
आज कल उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य व IAS अधिकारी आयुक्त सचिन कुर्वे के बीच तू तू मैं मैं चल रही हैं। उत्तराखंड में ये कोई नई बात नहीं है । उत्तराखंड बनने के बाद से ही उत्तराखंड में अबतक सभी सरकारों में अफसरशाही हावी होती देखी गई है । 2002 की पूर्व मुख्यमंत्री एन डी तिवारी की सरकार हो या 2007 में खण्डूरी सरकार फिर 2012 में कांग्रेस की सरकार या फिर 2017 में भाजपा त्रिवेंद्र सरकार तो अब 2022 की पुष्कर सिंह धामी की सरकार । जी हा उत्तराखंड में ये कोई बड़ी बात नहीं है कि अफसरशाही मंत्रियों पर हावी हो रही हैं। बस सवाल ये उठता है कि मंत्रियों व नोकरशाह के बीच का ये द्वंद उत्तराखंड की जनता के मूलभूत मुद्दों से कितना जुड़ा है । यहां पढ़े पूरा मामला :-
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य और IAS अधिकारी आयुक्त सचिन कुर्वे का 6 जिला पूर्ति अधिकारियों के तबादले को लेकर लेटर बम चल रहे हैं। कैबिनेट मंत्री ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखते हुए दावा किया कि यह 6 तबादले रूल आफ बिजनेस का उल्लंघन है। जिसे लेकर वे काफी नाराज हुई और मुख्य सचिव तक को अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए आयुक्त सचिन कुर्वे की शिकायत कर डाली थी। परन्तु मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है । मंत्री महोदय ने आयुक्त सचिन कुर्वे को लेटर जारी कर जवाब तलब किया है। साथ ही सचिन कुर्वे द्वारा किये गये जिला पूर्ति अधिकारियों के छह तबादले रद्द करने के निर्देश दिये । जिसके बाद से मामला यही नहीं थमा। इस बीच शुक्रवार देर शाम को आयुक्त सचिन कुर्वे ने अपनी विभागीय मंत्री रेखा आर्य को कायदे कानून का पाठ पढ़ाते हुए उनके पत्र का जवाब दे दिया है।
जिसमें एलोकेशन आफ बिजनेस रूल की बात करें तो एक्ट के रूल 21 में ख श्रेणी के अधिकारियों के तबादले की शक्ति आयुक्त के पास हैं। यानी नियमानुसार आयुक्त सचिन कुर्वे ने अपनी शक्तियों के तहत ही इन छह जिला पूर्ति अधिकारियों का तबादला किया। सचिन कुर्वे ने अपने पत्र में भी उल्लेख किया है कि स्थायी स्थानांतरण समिति का गठन 2018 में ही हो गया था और उसका अनुमोदन आयुक्त ने 28 अप्रैल 2022 को कर दिया गया था। सचिन कुर्वे ने एक्ट 2017 का हवाला देते हुए कहा कि तबादले निरस्त नहीं हो सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो विभाग में अराजकता का माहौल होगा।
वही आब सूत्रों के अनुसार सारी तू तू मैं मैं हरिद्वार के पूर्ति अधिकारी के के अग्रवाल को लेकर है। पूर्ति अधिकारी के के अग्रवाल का कार्यकाल का सारा समय हरिद्वार में ही बीता है और उन्होंने कई पदोन्नति हरिद्वार में ही हासिल हो गई। सरकार किसी की भी दल की रही हो और विभागीय मंत्री कोई भी रहा हो।के के अग्रवाल का हरिद्वार से कही भी ट्रांसफर नहीं हुआ । यदि मिले सूत्रों की माने टी अब के के अग्रवाल का तबादला रुद्रप्रयाग किया गया है। जिसके बाद से के के अग्रवाल अपने ट्रांसफर को लेकर हाथ-पैर मार रहा है। जिसे लेकर अब नैनीताल के पूर्ति अधिकारी के माध्यम से तबादला निरस्त करने का दबाव बनाया गया है।
मामल चाहे जिताना भी गर्म हो पर उत्तराखंड में नौकरियों के मामले हो , ठेके के मामले हो या ट्रांसफर के मामले कही न कही मंत्रियों व नौकरशाहों में आपसी असहमति के चलते ये टकराव देखें को मिलता है। जिसका उत्तराखंड की जनता के मूलभूत आवश्यकताओं से ज्यादा लेना देना नहीं होता है।