भारत की प्राचीन संस्कृति और विचार हमेशा से ही ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ की रही है: राज्यपाल

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राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि ) ने शुक्रवार को राजभवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आई आई एम यू एन संगठन, चेन्नई द्वारा आयोजित सेमिनार मे संस्था से जुड़े हजारों युवाओं को संबोधित किया | उल्लेखनीय है कि आई आई एम यू एन ( इंडियास इंटरनेशनल मूवमेंट टू यूनाइट नेशंस) विश्व के 35 देशों तथा 220 शहरों के 7500 स्कूलों के लाखों छात्रों का युवा संगठन है | यह संगठन विश्व के देशों में आपसी सौहार्द्र तथा मैत्री बढ़ाने के लिए कार्य करता है |

सेमिनार को संबोधित करते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि इंडियास इंटरनेशनल मूवमेंट टू यूनाइट नेशंस सिर्फ एक संस्था नही है, बल्कि यह महान विचार है। भारत की प्राचीन संस्कृति और विचार हमेशा से ही ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ की रही है। आज जिस ग्लोबल विलेज तथा थिंक ग्लोबली एक्ट लोकली अवधारणा की बात की जाती है, वह तो हमारे परम्पराओं का हिस्सा रही है।

राज्यपाल ने कहा कि हम भारतीय होने के साथ-साथ ग्लोबल सिटीजन भी है। सभी देशों के हित एक दूसरे से जुड़े है। सभी देशों की चुनौतियां समस्याएं तथा अवसर सांझे हैं | ग्लोबल वार्मिंग, वैश्विक महामारी, आर्थिक मंदी तथा युद्ध जैसी समस्याएं किसी एक देश तक सीमित नही है। इनका दुष्प्रभाव पूरी दुनिया को भुगतना पड़ता है। इनका समाधान भी ग्लोबल एक्शन में ही है।

राज्यपाल ने युवाओं से कहा कि उन्हें अपने नायक या आदर्श सोच समझकर चुनने चाहिए। उन्हें सतर्क रहना चाहिए कि किन लोगों को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं | क्योंकि जैसे हमारे प्रेरणास्रोत होंगे, वैसी ही हमारी सोच और जीवन होगा। नई पीढ़ी को अपने धर्म, संस्कृति और समाज के महापुरूषों के बारे में जानना चाहिए और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि जीवन में आभार का बड़ा महत्व है। ईश्वर के साथ ही हमेशा दूसरों के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहिए। वास्तव में आपके द्वारा दूसरों को दिया गया आभार लौटकर आपको ही सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है | इसके साथ ही प्रंशसा का भी बड़ा महत्व है। वास्तव में किसी आम इंसान की छोटी सी तारीफ भी उसमें अपार ऊर्जा, साहस और सकारात्मकता भर देती है। राज्यपाल ने युवाओं से कहा कि यदि आप जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको हर काम में अन्य लोगों से ज्यादा मेहनत, ज्यादा लगन और समर्पण की जरूरत है।

राज्यपाल ने कहा कि देशों मे मैत्री की बात आती है तो विभिन्न देशों के नागरिकों को एक दूसरे के साथ जुड़ना चाहिए | हमें ग्लोबल सिटीजन होने के कारण एक दूसरे की भाषाओं को सीखने का भी प्रयास करना चाहिए। भाषाओं के माध्यम से ही हम एक-दूसरे के सोच-विचार, संस्कृति और समाज को भी अच्छे से समझ सकते है। विभिन्न भाषाओं से भी बढ़कर है इंसानियत या मानवता की भाषा । मानवता की भाषा पूरी दुनिया में एक ही है। मानवीय संवेदनशीलता, दया, करूणा जैसी भावनाएं पूरी दुनिया में एक है।

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