उत्तराखंड विधानसभा में नियुक्तियों पर उठे बवाल के सवालों पर भड़के मंत्री जी

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देहरादून:

उत्तराखंड में भर्ती घोटालो की बढ़ाती फेरिस्त लगातार सरकारों का सर दर्द बनती जा रही है। जहा उत्तराखंड UKsssc में पेपर लीक घोटाला सरकार की किरकिरी कराये हुए और अब उत्तराखंड विधानसभा नियुक्तियों पर उठे सवालों पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पत्रकारों पर भड़क गए :

 

उत्तराखंड पूर्व स्पीकर और आज के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल विधानसभा की बैक डोर भर्ती पर घिर गए दिख रहे:

विधानसभा में पिछली 72 भर्तियों के दौरान आज के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल Speaker थे। जब भर्तियों को ले के इन दिनों माहौल जबर्दस्त गरम है तो भर्ती घोटालों से जुड़े विवादों-आरोपों को ले के हमेशा शीर्ष पर रहने वाली विधानसभा की इन बम्पर तादाद में हुई भर्तियों पर सवाल उठने लाजिमी है। ये वे भर्तियाँ हैं, जिनको उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के जरिये भरने के लिए उस वक्त के CM त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी शायद फाइल में लिखा था। इन भर्तियों और सचिव को धड़ाधड़ प्रोन्नतियों पर सवाल पूछे जाने की दशा में उस वक्त के स्पीकर का बिदकना कम से कम आज भर्ती घोटालों के माहौल में तो नहीं बनता है। उनको ये जवाब तो खुल के देना ही होगा कि भर्तियाँ आयोग के जरिये क्यों नहीं की गई? गैरसैण के लिए भर्ती में देरी होने पर तमाम महकमों के सरप्लस कर्मचारियों-अफसरों को इस्तेमाल किया जा सकता था। ये हकीकत है कि सिर्फ प्रेमचंद के दौर में नहीं बल्कि उससे पहले की भी भर्तियों पर गहन जांच (SIT स्तर पर,जिसमें कार्मिक विशेषज्ञ शामिल हों) हो जाए तो BJP के साथ ही Congress शासन के दौर के Speaker भी आंच-जांच के दायरे में घिरेंगे। ऐसे खैरात बांटने के अंदाज में नौकरियाँ तो राजा-महाराजा भी नहीं रखते हैं। CM पुष्कर सिंह धामी इस भर्ती भी जांच बिठा देते हैं तो सियासी नजरिए से भी उनके लिए इसके काफी मायने और अहमियत होगी।

 

उत्तराखंड पूर्व स्पीकर और आज के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल विधानसभा की बैक डोर भर्ती पर घिर गए दिख रहे:

विधानसभा में पिछली 72 भर्तियों के दौरान आज के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल Speaker थे। जब भर्तियों को ले के इन दिनों माहौल जबर्दस्त गरम है तो भर्ती घोटालों से जुड़े विवादों-आरोपों को ले के हमेशा शीर्ष पर रहने वाली विधानसभा की इन बम्पर तादाद में हुई भर्तियों पर सवाल उठने लाजिमी है। ये वे भर्तियाँ हैं, जिनको उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के जरिये भरने के लिए उस वक्त के CM त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी शायद फाइल में लिखा था। इन भर्तियों और सचिव को धड़ाधड़ प्रोन्नतियों पर सवाल पूछे जाने की दशा में उस वक्त के स्पीकर का बिदकना कम से कम आज भर्ती घोटालों के माहौल में तो नहीं बनता है। उनको ये जवाब तो खुल के देना ही होगा कि भर्तियाँ आयोग के जरिये क्यों नहीं की गई? गैरसैण के लिए भर्ती में देरी होने पर तमाम महकमों के सरप्लस कर्मचारियों-अफसरों को इस्तेमाल किया जा सकता था। ये हकीकत है कि सिर्फ प्रेमचंद के दौर में नहीं बल्कि उससे पहले की भी भर्तियों पर गहन जांच (SIT स्तर पर,जिसमें कार्मिक विशेषज्ञ शामिल हों) हो जाए तो BJP के साथ ही Congress शासन के दौर के Speaker भी आंच-जांच के दायरे में घिरेंगे। ऐसे खैरात बांटने के अंदाज में नौकरियाँ तो राजा-महाराजा भी नहीं रखते हैं। CM पुष्कर सिंह धामी इस भर्ती भी जांच बिठा देते हैं तो सियासी नजरिए से भी उनके लिए इसके काफी मायने और अहमियत होगी।

उत्तराखंड पूर्व स्पीकर और आज के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल विधानसभा की बैक डोर भर्ती पर घिर गए दिख रहे:

विधानसभा में पिछली 72 भर्तियों के दौरान आज के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल Speaker थे। जब भर्तियों को ले के इन दिनों माहौल जबर्दस्त गरम है तो भर्ती घोटालों से जुड़े विवादों-आरोपों को ले के हमेशा शीर्ष पर रहने वाली विधानसभा की इन बम्पर तादाद में हुई भर्तियों पर सवाल उठने लाजिमी है। ये वे भर्तियाँ हैं, जिनको उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के जरिये भरने के लिए उस वक्त के CM त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी शायद फाइल में लिखा था। इन भर्तियों और सचिव को धड़ाधड़ प्रोन्नतियों पर सवाल पूछे जाने की दशा में उस वक्त के स्पीकर का बिदकना कम से कम आज भर्ती घोटालों के माहौल में तो नहीं बनता है। उनको ये जवाब तो खुल के देना ही होगा कि भर्तियाँ आयोग के जरिये क्यों नहीं की गई? गैरसैण के लिए भर्ती में देरी होने पर तमाम महकमों के सरप्लस कर्मचारियों-अफसरों को इस्तेमाल किया जा सकता था। ये हकीकत है कि सिर्फ प्रेमचंद के दौर में नहीं बल्कि उससे पहले की भी भर्तियों पर गहन जांच (SIT स्तर पर,जिसमें कार्मिक विशेषज्ञ शामिल हों) हो जाए तो BJP के साथ ही Congress शासन के दौर के Speaker भी आंच-जांच के दायरे में घिरेंगे। ऐसे खैरात बांटने के अंदाज में नौकरियाँ तो राजा-महाराजा भी नहीं रखते हैं। CM पुष्कर सिंह धामी इस भर्ती भी जांच बिठा देते हैं तो सियासी नजरिए से भी उनके लिए इसके काफी मायने और अहमियत होगी।

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