काजल-काठ लकड़ी के साथ दो तस्कर गिरफ्तार लकड़ी की कीमत 32 लाख आंकी गई

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शुक्रवार को उत्तरकाशी पुलिस ने बड़ी कार्यवाही करते हुए लकड़ी तस्करों को पकड़ा:-

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में प्रतिबंधित लकड़ी काजल-काठ की तस्करी करते हुए शुक्रवार को दो आरोपियों को पुलिस ने धर दबोचा, आरोपियों की कार से कांजल की लकड़ी बरामद की गई जिसकी कीमत 32 लाख है।
पुलिस के द्वारा जब आरोपीयों की कार गंगोरी बैरियर को टक्कर मारकर आगे निकल गई तो पुलिस ने करीब 21 किलोमीटर दूर जाकर देवी धार बैरियर पर आरोपियों की कार पकड़ ली। उत्तरकाशी एसपी ने पुलिस टीम को उनके साहस के लिए 11 सो रुपए नगद पुरस्कार दिया।
उत्तरकाशी पुलिस की सूझबूझ से उत्तरकाशी में चल रहे लकड़ी के अवैध तस्करी पर रोक लगाने की मुहिम अब तेज दिखाई दे रही है, पुलिस को मिली सूत्रों से जानकारी के आधार पर जब तस्करों की कार को रोकने का इशारा किया गया तो चालक ने बैरियर को तोड़ते हुए आगे निकल गए जिस पर पुलिस ने निकटवर्ती सभी पुलिस चौकियों, थानों को सूचना देते हुए तुरन्त एक टीम गठित कर जिसमें सीओ अनुज कुमार, एसएचओ मोरी दिनेश कुमार और एसएसआई उत्तरकाशी प्रकाश राणा की टीम बनाकर तुरंत कार्रवाई करते हुए कुछ ही समय बाद फरार तस्करों की कार को देवी धार बैरियर के पास पकड़ लिया, कार की तलाशी लेने पर प्रतिबंधित काजल-काठ की लकड़ी के 318 गुटके बरामद किए इनकी बाजार में कीमत 32 लाख रुपए बताई गई है।
उत्तरकाशी एसपी प्रदीप राय ने बताया कि कार में सवार दोनों युवक शरद सिंह निवासी डोंड थलीसैंण पौड़ी गढ़वाल और पेमा निवासी उमला नेपाल ये लकड़ी के गुटकों को भटवाड़ी के वन क्षेत्र से लाए थे और इसे बेचने के लिए वह सहारनपुर ले जा रहे थे।
उत्तरकाशी एसपी राय ने बताया कि दोनों आरोपी युवको के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, युवकों के अपराधिक इतिहास की भी जानकारी पुलिस द्वारा जुटाई जा रही है।
उत्तराखंड के उच्च हिमालय वन क्षेत्रों में काजल-काठ के पेड़ पाए जाते हैं, काजल-काठ का पेड़ हिमालय के ऊंचे क्षेत्रों के आरक्षित वन क्षेत्रों में मिलते हैं कान जल का पेड़ औषधियों के गुणों से भरपूर होते हैं पेड़ के कई स्थान पर गांठ निकली होती है वह स्थान कटोरे के आकार का होता है।
काजल-काठ की लकड़ी के कटोरे व बर्तन बनाये जाते है ,

कांजल की लकड़ी से बने बर्तनों को बौद्ध धर्म के लोग खाने पीने के लिए स्तेमाल करते हैं, जिस कारण इस लकड़ी की इंटरनेशनल मार्केट में अधिक मांग है।

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