अवैध धार्मिक स्थलों पर चलेगा सरकार का बुलडोजर

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उत्तराखंड में प्रदेश सरकार का जोर आज कल अवैध धार्मिक स्थलों के निर्माण पर बुलडोजर की कार्यवाही पर हैं। अस्थायी राजधानी देहरादून जिले के विकास नगर के परगना में कुछ ही वर्षों में निर्मित अवैध धार्मिक स्थलों का तेजी से निर्माण किया गया है। इनमें चाहे मंदिर, मस्जिद, मदरसे व चर्च भी शामिल हो। जिन्हें जिला प्रशासन नोटिस थमाने जा रहा है। देखा गया हैं कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के सहसपुर क्ष में एक मदरसे की आड़ लेकर मस्जिद बनाए जाने का मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था उसके बाद एमडीडीए प्रशासन ने उक्त मदरसे की इंतजामिया कमेटी को नोटिस दिया था। साथ ही प्रशासन ने अन्य धार्मिक स्थलों को भी चिन्हित किया है, जिनके निर्माण कार्य बिना एमडीडीए अथवा जिला अधिकारी की अनुमति के हो रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने 20 जून 2009 को ये आदेश दिया था कि देश में कहीं भी नया धार्मिक स्थल नहीं बनाया जाएगा और यदि कोई बनाता है अथवा किसी पुराने धार्मिक स्थल की मरम्मत भी करवाई जाती है तो इसके लिए जिला कलेक्टर से अनुमति लेना जरूरी किया गया है। इस मामले में सभी राज्यों के हाई कोर्ट को निगरानी रखने के लिए अधिकृत किया गया था और जिला कलेक्टर को इसकी जानकारी हाई कोर्ट में देना आवश्यक किया गया था।

जानकर मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा इसलिए किया था कि किसी भी सरकारी अथवा निजी जमीन पर कब्जा करके, किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करके, सामाजिक सौहार्द को आहत करके कोई धार्मिक निर्माण न किया जा सके। जिला कलेक्टर की अनुमति के पीछे मूल भावना ये भी थी कि निर्माण से पूर्व उस धार्मिक स्थल का संपूर्ण दस्तावेजों के साथ नक्शा पास करवा लिया जाए।
देहरादून के धर्मपुर, सहसपुर, शिमला बाईपास, रामपुर मंडी, हरबर्टपुर, सेलाकोई, ढकरानी, शंकरपुर, इस्लाम नगर आदि क्षेत्रों में पिछले 10 सालों में 182 मस्जिदों का, 65 मदरसों का और 72 मजारों का निर्माण, पुनर्निर्माण बिना सरकारी अनुमति से किया गया है। इसके अलावा यहां 32 मंदिर भी हैं, जिन्हें चिन्हित किया गया है। सहसपुर सेलाकोई में मदरसे बनाए जा रहे हैं, जिनकी आड़ लेकर आलीशान मस्जिदें तैयार हो रही हैं। मदरसे को शिक्षालय बताया जाता है और फिर पीछे मस्जिद का हाल तैयार किया जा रहा है। इन्हें फंडिंग कहां से हो रही है, ये भी बड़ा सवाल उभर कर सामने आया है ।