राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को आईआरडीटी सभागार में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा आयोजित साहित्य पूर्णोत्सव के समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने भाषा संस्थान द्वारा अनुदानित विभिन्न साहित्यिक कृतियों का विमोचन किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर आईआरडीटी परिसर में लगे पुस्तक मेले का भ्रमण कर जानकारी प्राप्त की
अपने संबोधन में राज्यपाल ने उत्तराखण्ड की समृद्ध भाषाई और साहित्यिक परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्धन पर बल देते हुए कहा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, इतिहास और पहचान की महत्वपूर्ण धरोहर है। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड साहित्य और लोक संस्कृति की भूमि रही है, यहां की लोक-कथाओं, गाथागीतों और लोक संवादों ने सदियों से समाज को मार्गदर्शन दिया है। उन्होंने इस महोत्सव में शामिल साहित्यकारों, कवियों, शिक्षाविदों और भाषा प्रेमियों से आह्वान किया कि वे अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य करें।
राज्यपाल ने कहा कि भाषा और साहित्य का संरक्षण केवल सरकार का दायित्व नहीं है, बल्कि यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने साहित्यकारों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं से अपील की कि वे युवाओं में पढ़ने-लिखने की संस्कृति को बढ़ावा दें और स्थानीय भाषाओं को संरक्षित करने में सक्रिय भूमिका निभाएं।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश सरकार और भाषा संस्थान स्थानीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में दो साहित्य ग्राम स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे राज्य साहित्यिक पर्यटन का नया केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल, विधायक श्री खजान दास, पूर्व डीजीपी श्री अनिल रतूड़ी, निदेशक भाषा संस्थान श्रीमती स्वाति एस. भदौरिया, पद्श्री माधुरी बड़थ्वाल सहित अनेक साहित्यकार और गणमान्य लोग उपस्थित रहे।