भारतीय सेना और ITBP ने पार्वती कुंड यात्रा कराई, सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी परंपरा को मिला संबल
उत्तराखंड के चमोली के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के लिए एक ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण तब आया जब भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) ने संयुक्त रूप से मलारी और कैलाशपुर गांवों के ग्रामीणों को पार्वती कुंड की पवित्र यात्रा कराने की पहल की।
पार्वती कुंड, जो कि एक अत्यंत धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का स्थल है, सदियों से स्थानीय समुदाय की आस्था का केंद्र रहा है। यह कुंड न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान और परंपरागत जीवनशैली का प्रतीक भी है।
इस यात्रा का आयोजन कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और सीमावर्ती क्षेत्र में बसे ग्रामीणों के लिए आसान नहीं होता था। लेकिन इस बार भारतीय सेना और ITBP की विशेष सहायता से न केवल यात्रा को सुगम बनाया गया, बल्कि सुरक्षा, भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं की भी उचित व्यवस्था की गई।
इस आयोजन से स्थानीय नागरिकों में उत्साह और गर्व की भावना देखने को मिली। वरिष्ठ नागरिकों ने बताया कि वर्षों बाद उन्हें पार्वती कुंड तक सुरक्षित पहुंचने का अवसर मिला है। युवा पीढ़ी के लिए यह यात्रा अपने इतिहास और परंपराओं को जानने-समझने का जरिया बनी।
इस पहल के ज़रिए न केवल सीमावर्ती गांवों के लोगों के बीच सेना और सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास बढ़ा, बल्कि यह सदियों पुरानी आस्था, सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को संजोने की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हुआ।
स्थानीय प्रशासन और सेना के अधिकारी क्या बोले:
इस अवसर पर मौजूद सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
“हमारा उद्देश्य केवल सुरक्षा देना नहीं, बल्कि लोगों के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन से जुड़ना भी है। पार्वती कुंड यात्रा को साकार कर हमने एक विश्वास का पुल बनाया है।”
ITBP के एक अधिकारी ने बताया,
“यह अभियान सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हम उनके साथ हैं – सिर्फ सरहद पर नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक जड़ों को भी संबल देने में।”