नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) — VB-G RAM G बिल, 2025 को मंजूरी दे दी है। इससे लगभग दो दशक पुराना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) अब नए कानून से बदल जाएगा।
मुख्य बातें:
- इस नए अधिनियम के तहत ग्रामीण परिवारों को हर वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 125 दिनों का मज़दूरी रोजगार की वैधानिक गारंटी मिलती है, जो पहले 100 दिन थी।
- यह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) – 2005 की जगह लेता है और ग्रामीण आजीविका सुरक्षा को मजबूत बनाता है।
मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक या काम के 15 दिनों के भीतर करना अनिवार्य होगा; देर होने पर मुआवज़ा भी देय होगा। - मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक या काम के 15 दिनों के भीतर करना अनिवार्य होगा; देर होने पर मुआवज़ा भी देय होगा।
- रोजगार से जुड़े कामों को चार प्रमुख क्षेत्रों से जोड़ा गया है:
• जल सुरक्षा,
• ग्रामीण बुनियादी ढांचा,
• आजीविका अवसंरचना,
• प्रतिकूल मौसमी प्रभाव रोकना। - योजनाओं की रूपरेखा ग्राम पंचायत और ग्राम सभा तय करेंगी, जिससे स्थानीय स्तर पर अधिक सहभागिता सुनिश्चित होगी।
- केंद्रीय और राज्य के बीच खर्च का बँटवारा 60:40 होगा, जबकि उत्तर-पूर्व/हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% केंद्रीय सहायता होगी।
सरकार के अनुसार यह अधिनियम विकसित - भारत@2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप ग्रामीण आजीविका सुरक्षा, समावेशी विकास और सतत वृद्धि को गति देगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ:
विपक्ष ने मनरेगा का नाम हटाने और नए बिल को लागू करने को लेकर आलोचना की है। कई नेताओं ने आरोप लगाया कि इससे महात्मा गांधी की याद और मूल योजना की भावना कमजोर होगी।
सरकार का कहना है कि यह ग्रामीण रोजगार और आजीविका सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है।
परिणाम: देश की प्रमुख ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अब VB-G RAM G नाम से नए कानूनी ढांचे में लागू हो जाएगी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आत्मनिर्भरता को मजबूत करना है।
