ऑटो चालक की बेटी ने रचा इतिहास: विद्या ने जीता 400 मीटर हर्डल में स्वर्ण पदक

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कोयंबटूर, तमिल नाडू की 26 वर्षीय विद्या रामराज्य ने हाल ही में 38वें राष्ट्रीय खेलों में 400 मीटर हर्डल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है।

इस उपलब्धि को हासिल करने तक का उनका सफर कोई आसान नहीं था। विद्या की सफलता केवल उनकी मेहनत और समर्पण का परिणाम नहीं है, बल्कि उनके पिता, रामराज की अथक मेहनत और त्याग का भी नतीजा है। रामराज, जो एक ऑटो चालक हैं, अपने परिवार का मुश्किल आर्थिक परिस्थितियों में पालन पोषण करते थे वे अपनी बेटी को सपने पूरा करने के लिए हर संभव मदद देते रहे।

विद्या बताती हैं, “हमारी आर्थिक स्थिति कभी भी अच्छी नहीं रही। मेरे पिता का एकमात्र स्रोत आय उनका ऑटो था, और उसी से हमारा घर चलता था। लेकिन मेरे पिता ने कभी मुझे अपने सपनों को पूरा करने से नहीं रोका। उनका मुझ पर पूरा भरोसा था और उन्होंने हमेशा मुझे प्रेरित किया कि मैं एक दिन परिवार का नाम रोशन करूंगी।”

विद्या के लिए उनके पिता का समर्थन और प्यार अनमोल था। “मेरे पास कभी पैसे नहीं हुआ करते थे, लेकिन मेरे पिता ने हर संभव तरीका अपनाया, ताकि मुझे खेल किट और जूते मिल सकें। उनका समर्थन आज मेरे इस स्वर्ण पदक में नजर आता है।”

विद्या का कहना है कि उनके पिता की मेहनत और उनका विश्वास ही उन्हें आज इस मुकाम तक ले आया है। आर्थिक तंगी के बावजूद रामराज ने अपनी बेटी की हर छोटी-बड़ी जरूरत पूरी करने के लिए हरसंभव प्रयास किया। विद्या का यह स्वर्ण पदक इस बात का प्रमाण है कि अगर मन में मजबूत इच्छाशक्ति और परिवार का समर्थन हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।

विद्या रामराज्य ने स्वर्ण पदक जीतकर साबित किया, मुश्किलें कोई भी बड़ी नहीं होतीं!”

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संवाददाता

देवांशी सिंह

देवांशी सिंह दून विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की एमए की छात्रा हैं। उन्हें साहित्य और पत्रकारिता में गहरी रुचि है। अपनी रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से, देवांशी युवा साहित्यिक एवं पत्रकारिता क्षेत्र में एक उभरती हुई आवाज बनकर सामने आ रही हैं।

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