उत्तराखण्ड की शांत वादियों में एक प्रेरणा भरी कहानी गूंज रही है।
65 वर्षीय बीना शाह ने 38वें राष्ट्रीय खेलों में महिलाओं के एकल लॉन बॉल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है।
ये जीत सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि एक दशक के अटूट परिश्रम, लगन और हौसले की मिसाल है।
बीना जी का 12 वर्ष का खेल जीवन कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से भरा रहा है। उन्होंने कई बार राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाई, लेकिन स्वर्ण पदक की कसक हमेशा बनी रही। उम्र के इस पड़ाव पर, जहां अक्सर लोग खेल को अलविदा कह देते हैं, बीना जी का हौसला और दृढ़ संकल्प और भी प्रबल हुआ। उन्होंने अपने होम ग्राउंड कलकत्ता से परिश्रम कर अपने सपनों को उत्तराखण्ड में हो रहे 38 वें राष्ट्रीय खेल में संपूर्ण किया। हर सुबह की शुरुआत कठिन अभ्यास से होती थी। उनकी मेहनत, लगन और खेल के प्रति समर्पण को देखकर युवा खिलाड़ियों को भी प्रेरणा मिलती थी। राष्ट्रीय खेलों में उनकी फुर्ती, सटीक निशाना और शांत स्वभाव समस्त खिलाड़ियों के लिए आश्चर्यजनक था । फाइनल मुकाबले में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को कड़ी टक्कर दी और अंततः स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
बीना जी की यह जीत साबित करती है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, और अगर आपके अंदर हौसला और जुनून है, तो किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है। उनकी कहानी सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है, जो उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है, चाहे राह कितनी भी मुश्किल क्यों न हो। बीना शाह का स्वर्ण पदक न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, अनेकों के लिए प्रेरणास्पद है।
संवाददाता
Jagrutimayee Dash