नई दिल्ली :
भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के भरोसेमंद बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। 36 वर्षीय पुजारा ने अपने 15 साल लंबे करियर में भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयाँ दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
पुजारा ने भारत के लिए 103 टेस्ट मैच खेले, जिनमें उन्होंने 43.6 की औसत से 7,195 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 19 शतक और 35 अर्धशतक जड़े। अपनी धैर्यपूर्ण और जुझारू बल्लेबाजी के लिए पहचाने जाने वाले पुजारा को भारतीय टीम का “वॉल” कहा जाने लगा, खासकर तब जब टीम को लंबे समय तक क्रीज पर टिकने की ज़रूरत होती थी।
उन्होंने 2010 में बैंगलुरु में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला टेस्ट खेला था और जल्दी ही राहुल द्रविड़ के बाद भारत के सबसे भरोसेमंद टेस्ट बल्लेबाज बन गए। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी मुश्किल पिचों पर उनकी पारियां आज भी क्रिकेट प्रेमियों को याद हैं।
पुजारा ने सोशल मीडिया पर अपने संन्यास की घोषणा करते हुए फैंस, साथियों और भारतीय क्रिकेट बोर्ड का आभार जताया। उन्होंने लिखा कि यह सफर उनके जीवन का सबसे यादगार हिस्सा रहा और अब वे अपने जीवन का नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं।
हालांकि उन्होंने वनडे और टी20 में बहुत कम मौके पाए, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनकी तकनीक और संयम ने भारत को कई ऐतिहासिक जीत दिलाई। 2021 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा, जब उन्होंने चोट खाने के बावजूद बल्लेबाजी जारी रखकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
चेतेश्वर पुजारा का संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक युग का अंत है। अब वे घरेलू क्रिकेट और काउंटी क्रिकेट के जरिये खेल से जुड़े रह सकते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनकी शांत और स्थिर उपस्थिति की कमी टीम इंडिया को जरूर खलेगी।