पौड़ी / लक्ष्मण झूला
उत्तराखंड संस्कृत निदेशालय एवं उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में श्री गीता आश्रम ऋषिकेश में विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया गया।
दीपक गैरोला, सचिव संस्कृत शिक्षा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री, कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय ने की।
सचिव गैरोला ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण समय की मांग है। उन्होंने जोर देकर कहा कि तथापि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं परन्तु बिना जन सहयोग के इस दिशा में सकारात्मक परिणाम लाना एक चुनौती है। उन्होंने अपील की कि पर्यावरण संरक्षण का कार्य कोई सरकारी कार्य नहीं है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इसे अपना नैतिक कर्त्तव्य मानते हुए अपना सहयोग देना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि वेदों में ओजोन परत की समस्या के निवारण का उल्लेख मिलता है। उन्होंने बताया कि अग्निहोत्र के माध्यम से वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाकर ओजोन परत को फिर से स्वस्थ किया जा सकता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. आनंद भारद्वाज, निदेशक, संस्कृत शिक्षा ने संस्कृत साहित्य में पर्यावरणीय जागरूकता पर प्रकाश डाला। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री गिरीश अवस्थी ने कहा कि यदि मानव शास्त्रों में वर्णित जीवन शैली को अपना ले तो पर्यावरण की विभिन्न समस्याओं का स्वत: ही निदान हो जाएगा।
कार्यक्रम में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पर्यावरणविद डॉ. विनय सेठी ने पर्यावरणीय जागरूकता पर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में विभिन्न महाविद्यालय के विद्यार्थी तथा शिक्षकगण उपस्थित रहे। मंच संचालन डॉ. विनायक भट्ट ने किया। सहायक निदेशक मनोज सेमल्टी द्वारा अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
इससे पूर्व संस्कृत शिक्षा सचिव ने मा प्रधानमंत्री जी/मा मुख्यमंत्री जी के आह्वान पर ‘एक वृक्ष माँ के नाम’ पर ‘गीता-आश्रम’ में रोपित किया.