कोच की दी गई निःशुल्क ट्रेनिंग से चाँद जैसी चमकी चंदा: 38वें राष्ट्रीय खेलों की स्वर्ण पदक विजेता

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दिल्ली की खिलाड़ी चंदा ने हाल ही में 38वें राष्ट्रीय खेलों में 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर अपने करियर को नई ऊँचाईयों तक पहुँचाया। इससे पहले एशियाई चैंपियनशिप में उन्होंने रजत पदक भी जीता था। लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं था ।

चंदा के इस सफर के पीछे उनके कोच कुलवीर सिंह माथुर का बहुत बड़ा योगदान है, जिन्होंने उन्हें ना सिर्फ मानसिक रूप से तैयार किया, बल्कि उनका हर कदम पर मार्गदर्शन भी किया। कोच कुलवीर सिंह माथुर ने चंदा की ट्रेनिंग के लिए कभी भी कोई फीस नहीं ली। वे गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली चंदा की मदद करते रहे, उनका खाना-पीना, यात्रा का खर्च और अन्य प्रतियोगिताओं की व्यवस्था खुद अपने खर्चे पर करते रहे।

चंदा ने अपनी सफलता के बारे में बात करते हुए कहा, “मेरे पास कुछ भी नहीं था। मैं सिर्फ गरीबी में जी रही थी और सोचती थी कि मैं ये नहीं कर पाऊंगी लेकिन जब मैं अपने कोच से मिली, तो उन्होंने मेरी प्रतिभा को पहचाना और निःशुल्क ट्रेनिंग देने का फैसला किया।
चंदा यह भी कहती हैं कि “मेरी सफलता का श्रेय मेरे कोच को जाता है। अगर वे नहीं होते तो मैं कभी यहां नहीं पहुँच पाती। उन्होंने मुझे चैंपियन बनाने के लिए मेरे लिए सब कुछ किया। मैं एक गरीब परिवार से हूँ, लेकिन मेरे कोच ने न सिर्फ मुझे निःशुल्क ट्रेनिंग दी, बल्कि मेरे खेल से जुड़े सभी खर्चों का ध्यान रखा और मेरी मदद की।”

चंदा का परिवार बहुत गरीब है। उनके पिता टीबी रोग से जूझ रहे हैं और परिवार का एकमात्र सहारा खेती-बाड़ी है। आर्थिक स्थिति के कारण कई बार चंदा को प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए पैसे नहीं मिलते थे,जिसके कारण उन्हें कई मैच छोड़ने पड़े, लेकिन कोच कुलवीर ने उनका हौंसला बढ़ाया और हर संभव मदद की। उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में चंदा को भेजा और उनके सभी खर्चे खुद उठाए, जिससे चंदा का सपना साकार हो सका।

चंदा के अनुसार, “डिसिप्लिन (अनुशासन) हर चीज़ में बहुत ज़रूरी है, और हमें अपने कोच पर विश्वास रखना चाहिए। अगर कोच हमें सही दिशा में मार्गदर्शन देता है, तो हमें उसकी बात माननी चाहिए।”

आज चंदा सिर्फ दिल्ली का नाम ही नहीं, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर रही हैं। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि जब किसी को सही मार्गदर्शन और समर्थन मिलता है, तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है।

कोच कुलवीर सिंह माथुर के इस समर्पण और योगदान ने चंदा को उनके सपनों तक पहुँचाया है, और यही वह कहानी है जो हमें दिखाती है कि अगर सच्ची निष्ठा और समर्पण से किसी की मदद की जाए, तो वो अपनी मंजिल तक पहुँच सकता है, भले ही वह किसी भी पृष्ठभूमि से हो।


संवाददाता

देवांशी सिंह

देवांशी सिंह दून विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की एमए की छात्रा हैं। उन्हें साहित्य और पत्रकारिता में गहरी रुचि है। अपनी रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से, देवांशी युवा साहित्यिक एवं पत्रकारिता क्षेत्र में एक उभरती हुई आवाज बनकर सामने आ रही हैं।

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