मध्य प्रदेश के रहने वाले 23 वर्षीय सुनील डावर ने हाल ही में 38वें राष्ट्रीय खेलों में 5000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीतकर न सिर्फ अपने सपनों को साकार किया, बल्कि अपने संघर्ष और मेहनत से लाखों युवाओं को प्रेरित किया।
यह कहानी एक ऐसे युवा की है जिसने अपने जीवन की कठिनाइयों के बावजूद कभी हार नहीं मानी और आज एक बड़ा मुकाम हासिल किया।
सुनील का जीवन हमेशा से संघर्ष से भरा हुआ था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब थी और वे अपने पिता बिलर सिंह डावर के साथ खेतों में काम करते थे। उनके पिता एक किसान थे, और खेतों में हल चला कर ही घर का खर्चा चलता था। घर में जो भी पैसे आते, वह खेती से ही होते थे। बावजूद इसके, सुनील का सपना हमेशा कुछ बड़ा करने का था। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादा मजबूत हो तो किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
सुनील ने खेतों में काम करने के साथ-साथ खेलों में भी अपनी रुचि दिखाई। उनका सपना था कि वह किसी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लें और देश का नाम रोशन करें। उन्होंने अपनी मेहनत से दौड़ने की कला सीखी और अपनी गति को बेहतर किया। पहले संसाधनों की कमी और फिर कठिन परिस्थितियों के बावजूद, सुनील ने कभी हार नहीं मानी।
आखिरकार, उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें 38वें राष्ट्रीय खेलों में 5000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक दिलवाया। सुनील के अनुसार, “मेरे लिए यह कांस्य पदक मेरे जीवन के संघर्षों और कठिनाइयों की जीत है। यह मेरे परिवार, खासकर मेरे पिता की मेहनत का परिणाम है।” सुनील का यह पदक न केवल उनके परिवार के लिए गर्व का विषय है, बल्कि उनके प्रदेश के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।
सुनील डावर की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि कठिनाइयाँ केवल सफलता की ओर बढ़ने का एक रास्ता होती हैं। उनका संघर्ष और मेहनत हमें यह सिखाता है कि अगर दिल में जुनून हो, तो किसी भी परिस्थिति को पार किया जा सकता है। सुनील की कांस्य पदक जीत एक प्रेरणा है, जो यह बताती है कि किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए हार मानने की कोई जगह नहीं होती।
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संवाददाता
देवांशी सिंह
देवांशी सिंह दून विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की एमए की छात्रा हैं। उन्हें साहित्य और पत्रकारिता में गहरी रुचि है। अपनी रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से, देवांशी युवा साहित्यिक एवं पत्रकारिता क्षेत्र में एक उभरती हुई आवाज बनकर सामने आ रही हैं।