बुरी तरह हड्डी टूटने के बाद भी नहीं मानी हार, आज हैं चैंपियन : समरदीप सिंह गिल की संघर्षपूर्ण कहानी

Photo Gallery Slider sports उत्तराखंड संस्कृति

कभी-कभी जीवन हमें चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूर करता है, लेकिन जब हमारे अंदर जीतने का जज्बा हो, तो कोई भी मुश्किल हमें रोक नहीं सकती। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया है एक खिलाड़ी ने, जिसकी हड्डी टूटने के बावजूद उसने अपनी हिम्मत को कायम रखा और चैंपियन बनकर दिखाया।

मध्य प्रदेश के समरदीप सिंह गिल ने हाल ही में 38वें राष्ट्रीय खेलों में शॉट पुट प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर एक नई मिसाल पेश की है। यह उनकी सफलता का एक और अहम पड़ाव है, लेकिन समरदीप की यात्रा आसान नहीं रही। उन्होंने अपनी ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन हर बार उसने उन्हें पार किया और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते गए।

कुछ साल पहले समरदीप खेलते हुए गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उनके पैर की हड्डी बुरी तरह से टूट गई थी। उस वक्त समरदीप को ऐसा लगा था कि शायद वह अब आगे नहीं खेल पाएंगे। दर्द इतना तेज था कि वह खुद को निराश महसूस करने लगे थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और खुद को फिर से उठाया। समय के साथ, उन्होंने पुनः अपनी मेहनत और संघर्ष से खेल में वापसी की, और इसके बाद उन्हें लगातार सफलता मिली।

उसने कहा, “जब हड्डी टूटी थी, तो मुझे लगा था कि अब शायद मैं कभी वापस नहीं लौट पाऊंगा, लेकिन मेरी मेहनत और विश्वास ने मुझे आगे बढ़ने की ताकत दी। मैं खुद पर यकीन करता रहा और अंत में सफलता मेरे कदम चूमने आई।” समरदीप का कहना है, “जब तक किसी में सच्ची इच्छा शक्ति हो, तो कोई भी लक्ष्य प्राप्ति से उसे रोक नहीं सकता। जीवन में बाधाएं आना स्वाभाविक है, लेकिन हमें उन्हें कभी अपने रास्ते में नहीं आने देना चाहिए।”

समरदीप के कोच संदीप सिंह बताते हैं, “समरदीप ने हमेशा कठिनाइयों का सामना किया है। उनकी मेहनत और दृढ़ नायकता ने उन्हें इन सब मुश्किलों से बाहर निकाला। वह हमेशा उम्मीद और संघर्ष का प्रतीक बने हैं।”

38वे राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक विजेता रह चुके समरदीप का यह सफर उनके लिए प्रेरणा बन चुका है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो मुश्किलें भी रास्ता नहीं रोक सकतीं।

समरदीप की सफलता इस बात का प्रमाण है कि जब इरादा मजबूत हो, तो कोई भी हालात उसे नहीं हरा सकते। आज वह खेल की दुनिया में एक चैंपियन के रूप में सामने आए हैं और उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है।


फोटो साभार: पवन नेगी 


संवाददाता

देवांशी सिंह

देवांशी सिंह दून विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की एमए की छात्रा हैं। उन्हें साहित्य और पत्रकारिता में गहरी रुचि है। अपनी रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से, देवांशी युवा साहित्यिक एवं पत्रकारिता क्षेत्र में एक उभरती हुई आवाज बनकर सामने आ रही हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *