उन्नयन संस्था द्वारा शिक्षा की रोशनी से बदल रही है पिछड़े क्षेत्र की तस्वीर

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देहरादून: 

सन् 1992 में स्थापित उन्नयन संस्था हमारे नगर के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक में शिक्षा की अलख जगा रही है। यह वह इलाका था जहां के अधिकांश लोग “साक्षरता” शब्द से भी परिचित नहीं थे। परिवारों के छोटे-छोटे बच्चे दिनभर सड़क से उपयोगी वस्तुएँ बीनकर 20–50 रुपये कमाने को मजबूर थे। इस स्थिति को देखकर ही संस्था के संस्थापकों ने संकल्प लिया कि इन वंचित बच्चों को शिक्षा से जोड़कर उन्हें मुख्यधारा में लाना है।

इसी उद्देश्य के साथ उन्नयन शिक्षा केंद्र की शुरुआत हुई, जिसने बच्चों के जीवन में उम्मीद की नई किरण प्रदान की। शिक्षा के माध्यम से बच्चों में आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता और एक बेहतर भविष्य का सपना जगाना संस्था का प्रमुख लक्ष्य रहा है। इस पहल ने न सिर्फ बच्चों को, बल्कि पूरे क्षेत्र के सामाजिक और शैक्षणिक माहौल को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।

संस्थान द्वारा संचालित विद्यालय को उत्तराखंड शिक्षा विभाग से विधिवत मान्यता प्राप्त है और पिछले 33 वर्षों से नर्सरी से आठवीं कक्षा तक लगातार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही है। वर्तमान में 130 से अधिक बच्चे यहां अध्ययनरत हैं। यह विद्यालय पूरी तरह गैर-सरकारी है और किसी भी सरकारी सहायता के बिना केवल दानदाताओं के सहयोग से संचालित होता है, जिसके बावजूद शिक्षा का स्तर उल्लेखनीय रूप से उच्च है।

संस्था का मानना है कि शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए। इसलिए बच्चों में नैतिक मूल्यों, आत्मविश्वास और सामाजिक जिम्मेदारी का विकास भी प्राथमिकता है। संस्था ने अनुभव किया है कि जब वंचित बच्चों को सही मार्गदर्शन और स्नेहपूर्ण वातावरण मिलता है, तो वे भी समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं।

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