यूकॉस्ट के “जल शिक्षा कार्यक्रम” के अंतर्गत “वाटर सिनेरियो ऑफ़ उत्तराखंड

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देहरादून :

यूकॉस्ट के “जल शिक्षा कार्यक्रम” के अंतर्गत “वाटर सिनेरियो ऑफ़ उत्तराखंड (उत्तराखंड में जलस्रोतों का परिदृश्य)” विषय पर हुआ विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन

उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) द्वारा 31 जुलाई 2025 को “जल शिक्षा कार्यक्रम” के अंतर्गत “वाटर सिनेरियो ऑफ़ उत्तराखंड (उत्तराखंड में जलस्रोतों का परिदृश्य)” विषय पर हुआ विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने अपने संबोधन में कहा कि “जल एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसे केवल जानकारी तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि इसके संरक्षण हेतु ठोस कार्य योजनाएं बनाकर कार्य करने की आज आवश्यकता है । प्रोफेसर पंत ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में यह एक महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील विषय है। उन्होंने कहा कि जल के महत्त्व को देखते हुए एवं भविष्य की जल सुरक्षा को केंद्रित करते हुए यूकॉस्ट द्वारा “जल शिक्षा कार्यक्रम” प्रारम्भ किया गया है जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों एवं आम जनमानस को जल संरक्षण,जलस्रोत प्रबंधन, जलस्रोत पुनर्जीवन से जोड़ना है एवं जन सहभागिता के साथ कार्य करना है ।

प्रोफेसर पंत ने कहा कि यूकॉस्ट द्वारा ‘माँ धरा नमन’ कार्यक्रम के अंतर्गत टोंस पुनर्जीवन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है और जल संरक्षण के लिए वाटर वालंटियर को तैयार किया जा रहा है। सभी विद्यालयों और संस्थानों को इस अभियान में भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने जल स्रोतों के पुनरुद्धार विशेषकर “नौला धारा” के संरक्षण हेतु व्याख्यान श्रृंखला आयोजित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में मानसखण्ड
विज्ञान केंद्र, अल्मोड़ा के एमेरिटस वैज्ञानिक डॉ. जी. एस. नेगी ने सहभागिता की। उन्होंने “वाटर सिनेरियो ऑफ़ उत्तराखंड (उत्तराखंड में जलस्रोतों का परिदृश्य)” विषय पर अपने व्याख्यान में उत्तराखंड के जलस्रोतों के परिदृश्य पर विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने नौला, धारा, जलस्रोतों, प्रमुख नदी बेसिनों, राज्य के ग्लेशियरों, प्राकृतिक एवं मानव निर्मित झीलों की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने भूजल पुनर्भरण (Groundwater Recharge) और स्प्रिंग सैंक्चुरी (Spring Sanctuary) विकास की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने जलस्रोतों के वैज्ञानिक एवं पारम्परिक प्रबंधन की दिशा में कार्य किये जाने की आवश्यता पर बल दिया ।
कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम समन्वयक व यूकॉस्ट के वैज्ञानिक डॉ. भवतोष शर्मा द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन यूकॉस्ट के वैज्ञानिक डॉ. मनमोहन रावत द्वारा किया गया । कार्यक्रम में सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड उत्तराखंड क्षेत्र के डायरेक्टर डॉ प्रशांत राय ने भूजल रिचार्ज किये जाने को बहुत आवश्यक बताया । इस अवसर पर उत्तराखंड के सीमान्त एवं पर्वतीय जिलों पिथौरागढ़, चंपावत, चमोली, पौड़ी, अल्मोड़ा जिलों के सहित ऊधम सिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून जिलों के विभिन्न शिक्षण संस्थानों, यूकॉस्ट के पर्यावरण विज्ञान चेतना केंद्रों के छात्र छात्राओं, शिक्षकों सहित 150 से अधिक प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया ।

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