आपदा प्रबंधन पर दूसरे प्री-शिखर सम्मेलन का मुंबई में सफल आयोजन

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मुंबई : 

आज उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (युकोस्ट) द्वारा आपदा प्रबंधन पर दूसरा प्री-शिखर सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन मुंबई में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन महाराष्ट्र के माननीय वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री गणेश नाईक और युकोस्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गश पंत की गरिमामय उपस्थिति में दीप प्रज्वलन कर हुआ।

कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र के माननीय वन एवं पर्यावरण मंत्री
श्री गणेश नाईक ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी को राज्य सरकार के तीन वर्षों की सफलता पर बधाई दी और उत्तराखंड सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से निकलने वाली मां गंगा के जल की शुद्धता आज भी सनातन धर्म की संस्कृति को संजोए हुए है। इसके अलावा, उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में आपदाओं के समय किए गए तत्पर और सहायक प्रयासों की भी सराहना की। मंत्री नाईक ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हमेशा आपदा के समय हर राज्य सरकार के साथ तन, मन और धन से खड़े रहते हैं और इस दिशा में उनका योगदान सराहनीय है।

इस कार्यक्रम में युकोस्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गश पंत ने महाराष्ट्र के वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री गणेश नाईक का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन पर आधारित इस प्री-शिखर सम्मेलन का आयोजन मुंबई में करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि आपदा प्रभावित राज्यों के साथ वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग से कार्य किया जा सके। प्रोफेसर पंत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की और यह भी बताया कि उत्तराखंड में हर साल आपदाएँ आती रहती हैं, जिस से निपटने के लिए पहले से ही राज्य सरकार लगातार काम कर रही है।

कार्यक्रम में देश भर के केंद्र सरकार के संस्थानों और शैक्षणिक संस्थानों के वैज्ञानिकों ने कार्यक्रम के अलग अलग आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार और अनुभव साझा किए। साथ ही कार्यक्रम के संयोजक श्री प्रहलाद अधिकारी, युकोस्ट के डॉ o जितेंद्र कुमार , डॉ o अमित पोखरियाल ने अहम भूमिका निभाई ।

इस सम्मेलन में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस, स्ट्रेटेजिक वेन्यू, वित्रय, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर मुंबई सहित कई प्रमुख संस्थानों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आपदा प्रबंधन पर आधारित यह सम्मेलन न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में आपदा से निपटने के लिए एक ठोस वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए एक अहम कदम साबित हुआ है।

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