आईआईटी रुड़की में मलवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत ‘नवाचार नेतृत्व विकास कार्यक्रम’ का सफल आयोजन

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रुड़की:

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने 22 से 26 मार्च 2025 तक मलवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम (MMTTP) के अंतर्गत ‘नवाचार नेतृत्व विकास कार्यक्रम’ का सफल आयोजन किया। इस कार्यक्रम में भारत भर के केंद्रीय वित्तपोषित संस्थानों, राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों और निजी उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) के विभिन्न स्तरों के शिक्षकों ने भाग लिया।

इस पांच दिवसीय कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को संस्थागत नेतृत्व, सामूहिक निर्णय लेने, साझा शासन, पहल शुरू करने और समस्या-समाधान जैसे क्षेत्रों में दक्ष बनाना था। कार्यक्रम में प्रबंधन सत्रों, कार्यशालाओं और विशेषज्ञों के साथ संवाद के माध्यम से शिक्षकों को नेतृत्व से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया गया।

कार्यक्रम के प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे — श्री दीपक कुमार, सचिव, कार्यक्रम कार्यान्वयन, संस्कृत शिक्षा एवं जनगणना, उत्तराखंड सरकार; प्रो. के. के. पंत, निदेशक, आईआईटी रुड़की; श्री एस. पी. डोभाल, निदेशक, प्रौद्योगिकी प्रबंधन संस्थान (ITM); और प्रो. एच. सी. पोखरियाल, वरिष्ठ शिक्षाविद्।

श्री दीपक कुमार ने नीतियों के कार्यान्वयन और शासन में नेतृत्व की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने संस्कृत विश्वविद्यालयों से जुड़े प्रतिभागियों से बातचीत करते हुए पारंपरिक ज्ञान को पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने के लिए संस्थानों के बीच सहयोग पर बल दिया।

प्रो. के. के. पंत ने अकादमिक वातावरण में एक नेता के गुणों पर चर्चा की, वहीं प्रो. पोखरियाल ने नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के क्रियान्वयन से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों पर संवाद किया।

कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों और शैक्षणिक पृष्ठभूमियों से आए शिक्षकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। चर्चा के प्रमुख विषयों में  VUCA (Volatility, Uncertainty, Complexity, Ambiguity) से निपटना, मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण, विकसित भारत 2047 के निर्माण हेतु नवाचार नेतृत्व, रचनात्मक डिजाइन सोच, टीम निर्माण और भविष्यदृष्टा नेतृत्व शामिल रहे।

इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य प्रतिभागियों के टीम प्रबंधन, संवाद कौशल और समालोचनात्मक सोच को सशक्त बनाना, सहयोग को बढ़ावा देना और प्रशिक्षित संस्थागत नेताओं की एक सशक्त श्रृंखला तैयार करना है। इसके साथ ही, प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया गया कि वे अपने संस्थानों में इसी प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कर दूसरों को भी लाभान्वित करें।

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