देहरादून:
बीते गुरुवार को पूरे दिन हरीश रावत की एडिट की गई तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हो रही थी। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की फोटो को एडिट कर एक मौलाना का रूप दिया गया था और सहसपुर में मुस्लिम विश्वविद्यालय खोलने संबंधित वायरल बयान को खूब वायरल किया जा रहा था। बताया जा रहा है कि सहसपुर विधानसभा में कांग्रेस पार्टी से दावेदारी कर रहे एक दावेदार ने सहसपुर में मुस्लिम विश्वविद्यालय खोलने की मांग की थी और इस शर्त पर अपना नामांकन वापस लिया था। बस इस बात को तूल देकर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव भी बाकी देश के चुनावों की तरह हिंदु मुस्लिम हो गया। उत्तराखंड राज्य जहां हिंदु आबादी 83 फीसदी के करीब है और मुस्लिम आबादी 13 फीसदी के करीब। मुस्लिम आबादी भी हरिद्वार, देहरादून और उधम सिंह नगर तक ही फैली है, पहाड़ों में इनकी तादात कुल आबादी का 5 फीसदी भी नहीं है। ऐसे में उत्तराखंड के लोगांे को हिंदु मुस्लिम जैसे मुद्दों से प्रभावित ही नहीं होना चाहिए था, हमारे पास खुद के रोने के पास कारण हैं।
एनएसओ के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में बेरोजगारी का औसत देश के औसत से भी बुरा है। राज्य में करीब एक तिहाई युवा बेरोजगार है। उत्तराखंड में नौकरी मिलने की संभावनाएं बेहद कम है। रोजगार दफ्तरों में पंजीकृत करीब 8 लाख लोगों में से 2 से ढाई हजार युवाओं को ही नौकरी मिल पा रही है। बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है, हिंदु मुस्लिम से भी बड़ा, उस पर चर्चा की जाए तो ज्यादा बेहतर होगा।
उत्तराखंड पर्यटन के क्षेत्र में तमाम संभावनाएं समेटे हुए है। चारधाम यात्रा के अलावा राज्य में शीतकालीन पर्यटन के लिए लाखों पर्यटक हर महीने उमड़ते हैं, पर्यटन की आधारभूत सुविधाओं को दुरूस्त कर पर्यटकों के अनुकूल माहौल बनाने की मांग भी हिंदु मुस्लिम से ज्यादा जरूरी है।
व्हाट्सएप पर उत्तराखंड चुनाव में हिंदु मुस्लिम करते सैकड़ों पोस्ट आपकी भी नजरों से के सामने से गुजर रहे होंगे। यह हिंदु मुस्लिम वाले मामले सरकारों के लिए राहत भरे होते हैं क्योंकि हिंदु मुस्लिम में उलझने वाली जनता मूल सवालों से भटक जाती है लिहाजा चुनाव जीतने के बाद सरकार भी बोलती है कि चुनाव से पहले तो ऐसी कोई बात नहीं हुई थी कि नौकरी देंगे, स्वरोजगार बढ़ाने को मौके देंगे, गांव को सड़क से जोड़ेंगे, हमने तो कहा था कि बस मुस्लिमों पर नियंत्रण लगाए रखेंगे और वह तो हम कर ही रहे हैं।
देेखिए अभी मौका है कि अगले पांच साल आपको किस तरह की सरकार चाहिए इसलिए पार्टियों द्वारा प्रायोजित प्रचार प्रसार में फंसने की जगह अपने सवालों के साथ डटे रहिए, पूछिए कि नौकरी कैसे दोगे, पूछिए कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्या करोगे अगर वह कहें कि पर्यटन योजनाओं का निर्माण करेंगे तो जरूर पूछिए कि पैसा कहां से लाओगे पर्यटन विभाग तो सालों से सिर्फ अपने कर्मियों को तनख्वाह देने तक के लिए लायक बजट जुटा पा रहा है।
उनसे पूछिए कि स्कूलों में शिक्षक कैसे लाओगे, उनसे पूछिए कि महंगाई को काबू में कैसे करोगे, कोई तो प्लान होगा, कोई तो एसओपी होगी…
हां हिंदु मुस्लिम में फंसोगे तो फिर सवाल पूछने का हक पांच साल के लिए खो दोगे।