नई दिल्ली:
केरल के मलप्पुरम जिले में अमीबिक मेनिन्गोएन्सेफलाइटिस (Amoebic Meningoencephalitis) नामक गंभीर संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसे आम भाषा में “दिमाग खाने वाला अमीबा” कहा जाता है। अब तक जिले में इस संक्रमण के 17 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 6 लोगों की मौत हो चुकी है।
नए मामले और स्वास्थ्य विभाग की बैठक
हाल ही में वांडूर ब्लॉक में दो नए मामले दर्ज किए गए। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने आपात बैठक बुलाई, जिसमें इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने पर सहमति बनी।
जिला मेडिकल ऑफिसर (DMO) डॉ. आर. रेनुका ने बताया
“वांडूर ब्लॉक में दो नए मामले मिले हैं। इसके बाद विधायक और अधिकारियों के साथ बैठक कर हमने जनता के बीच बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान शुरू करने का फैसला लिया है। साथ ही पानी के टैंकों और कंटेनरों की सफाई का भी विशेष प्रबंध किया जा रहा है।”
मौतों का आंकड़ा बढ़ा
गुरुवार को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में भर्ती मलप्पुरम जिले के चेलाम्बरा निवासी शाजी (47) की मौत हो गई। वह पिछले महीने से इस बीमारी से जूझ रहे थे। शाजी इस संक्रमण से जान गंवाने वाले जिले के छठे शिकार बने।
संक्रमण से बचाव के निर्देश
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।
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प्रदूषित पानी और तालाबों से दूरी बनाए रखें।
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पानी के टैंकों व कंटेनरों की नियमित सफाई करें।
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किसी भी तरह के शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
यह बीमारी क्यों खतरनाक है?
अमीबिक मेनिन्गोएन्सेफलाइटिस एक दुर्लभ लेकिन घातक संक्रमण है, जो आमतौर पर प्रदूषित पानी में मौजूद अमीबा के नाक के जरिए दिमाग तक पहुंचने से फैलता है। शुरुआती चरण में इसके लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम या सिरदर्द जैसे लगते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह मस्तिष्क को गंभीर नुकसान पहुंचाता है।
केरल स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है और संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
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