मुख्यमंत्री ने रेसकोर्स स्थित गुरुद्वारे में माथा टेका प्रदेश वासियों की खुशहाली के लिए अरदास की

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देहरादून:
गुरु गोबिंद सिंह की आज 355वीं जयंती है। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को बधाई दी और कहा कि गुरु का जीवन और संदेश लाखों लोगों को शक्ति का देता है। गुरु गोविंद सिंह महाराज का प्रकाशोत्सव राज्य में हर्षोल्लास व श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार भव्‍य पांडाल नहीं सजाए गए। गुरुद्वारों में सूक्ष्‍म आयोजन कर श्रद्धालुओं ने माथा टेका।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेसकोर्स स्थित गुरुद्वारे में माथा टेक राज्य की खुशहाली के लिए अरदास कराई। गुरूद्वारे परिवार की और से मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि जब भी धर्म पर संकट आया महापुरुषों ने जन्म लेकर उसकी रक्षा की। गुरु गोविंद सिंह का सिख धर्म में अमूल्य योगदान है। वे सत्य और धर्म की रक्षा के मार्ग पर चलने वाले सच्चे दिव्यात्मा थे। त्याग और बलिदान के साथ ही दृढ़ संकल्प का अद्भुत रूप गुरू गोविंद सिंह में था। गुरू गोविंद सिंह में गुरू नानक देव की दसवीं ज्योति प्रकाशमय हुई। जिस वजह से इन्हें दसवीं ज्योति भी कहा जाता है। वह साहस, करुणा और उदारता के प्रतीक थे। दलितों की सेवा करने के उनके प्रयासों को दुनिया भर में व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है। हमारा समाज उनकी शिक्षाओं और बलिदानों का ऋणी रहेगा।

*मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। शासन-प्रशासन ने अपनी तरफ से आमजन की सुरक्षा के सभी इंतजाम किए हुए हैं। कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन करें। आम जनमानस की जरा सी लापरवाही स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है। इसलिए सभी लोगों को चाहिए कि मास्क पहनकर ही घर से निकले और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूर करें। विधानसभा चुनाव में मतदान के दौरान भी हमें इन बातों का ध्यान रखना होगा।*

गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर प्रकाश पर्व का उल्लास

हर वर्ष गुरु गोविंद सिंह की जयंती 9 जनवरी को मनाई जा जाती है। प्रकाश पर्व के इस अवसर पर देश में खुशी और उल्लास का माहौल है। सवा लाख से एक लड़ावाँ ताँ गोविंद सिंह नाम धरावाँ” का उद्घोष करने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी मानव रूप में सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे। बिहार के पटना साहिब में जन्मे गुरु गोविंद सिंह का बचपन का नाम गोबिंद राय था, उनके पिता, नौवें गुरु थे। गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बाद, नौ साल की उम्र में उन्हें ‘गुरु गद्दी’ में विराजमान किया गया था। गुरु गोविंद सिंह की जयंती के अवसर पर प्रभात फेरी निकाली जाती है गुरुद्वारों में सबद, कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन होता है।

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