देहरादून:
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखण्ड कांग्रेस व पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने यशपाल आर्य को नेताप्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद प्रभारी देवेंद्र यादव व राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में कांग्रेस गुटबाजी के कारण हारी, और गुटबाजी के आरोप मुझपर लगाए जा रहे हैं। चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व को इसकी जांच करानी चाहिए, गुटबाजी के आरोप साबित हुए तो वह विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे।
उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2022 में मिली हार को आधार बनाकर कांग्रेस में नए प्रदेश अध्यक्ष व नए नेताप्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद कांग्रेस में सिर फुटवल की स्थिति हो गई है।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने हार के कारणों के लिए हुई गुटबाजी में उनकी भूमिका को जिम्मेदार ठहराए जाने के लिए राष्ट्रीय महामंत्री संगठन केसी वेणुगोपाल व प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को निशाने पर ले लिया।
आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी नए पद वितरण के बाद नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। उनका भी एक वीडियो सामने आया, जिसमें हरदा नए प्रदेश अध्यक्ष व अपने साले से नाराज दिखे। नए प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उनके साले करण मेहरा उनसे मिलने हरदा के आवास पर पंहुंचे थे।
आपको बता दें कि जौनसार से आने वाले प्रीतम सिंह पर प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए गढ़वाल विरोधी होने के आरोप भी लग चुके हैं। अध्यक्ष रहते हुए प्रीतम सिंह ने गढ़वाल से आने वाले कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक के बाद एक कई नोटिस दिए और निष्कासन किए।
प्रीतम सिंह के उत्तराखण्ड कांग्रेस अध्यक्ष कार्यकाल में विजयपाल रावत प्रदेश प्रवक्ता, प्रदीप भट्ट प्रदेश प्रवक्ता, दर्शन लाल प्रदेश अध्यक्ष अनुसूचित जाती विभाग उत्तराखण्ड (तीनों उत्तरकाशी के गढ़वाली), संजय रावत प्रदेश सचिव, रेनु नेगी प्रदेश सचिव महिला कांग्रेस (दोनों चमोली), सुमित्रा ध्यानि पार्षद (देहरादून), संजय भट्ट प्रदेश प्रवक्ता (देहरादून), आशा मनोरमा शर्मा डोबरियाल (देहरादून), कमलेश शर्मा व माला शर्मा (कुमाऊं) और अन्य कई को कारण बताओ नोटिस थमाया गया।
प्रीतम सिंह जब अध्यक्ष थे तब बीजेपी की सरकार ने उन्हें सरकारी बंगला भी दिया। ये यमुना कॉलोनी के वह बंगला था जो कोर्ट के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खण्डूड़ी से खाली करवाया गया था। जबकि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष को सरकार द्वारा बंगला देने का कोई प्रावधान ही नहीं है, और वो भी विपक्षी।
प्रीतम सिंह अध्यक्ष रहते हुए 2019 लोकसभा चुनाव लड़े और टिहरी लोकसभा से करीब 3 लाख 30 हजार रिकार्ड वोट से हारे, यह अबतक की टिहरी लोकसभा की सबसे बड़ी हार ह।