उत्तराखंड ऋषिकेश एम्स में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने स्वीपिंग मशीन की खरीद-फरोख्त में व एक केमिस्ट शॉप खोलने के टेंडर में कदाचार के आरोप में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं। इन दोनों मामलों में एम्स के तीन तत्कालीन प्रोफेसरों, प्रशासनिक अधिकारी, लेखा अधिकारी और एक निजी फर्म के मालिक को नामजद किया गया है। सीबीआई ने शुक्रवार को उत्तराखंड उत्तर प्रदेश हरियाणा और नई दिल्ली सहित देश के 24 अलग-अलग ठिकानों पर आरोपियों के निशानदेही पर छापे मारे। सीबीआई की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि आरोपी लोक सेवकों ने निविदा प्रक्रिया से संबंधित भारत सरकार के दिशा निर्देशों का घोर उल्लंघन करते हुए कार्य किया गया है । फर्जी काम के आधार पर प्रतिष्ठित बोली दाताओं की बेईमानी से जांच की और उन फर्मों को अनुमति दी जिन्होंने एक निविदा दस्तावेजों में तथ्यों को अलग तरीके से प्रस्तुत किया था। सीबीआई ने अपनी जांच के आधार पर यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों ने इन निविदाओं मे ट्रेलर गठन के अस्तित्व को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया था। इसके बाद आरोपियों ने कथित तौर पर अपराध के महत्वपूर्ण सबूतों को गायब करने का भी अपराध किया है। रोड स्वीपिंग मशीन की खरीद में 2.41 करोड़ रुपये और केमिस्ट शॉप की स्थापना के लिए टेंडर के पुरस्कार में ₹2 करोड़ का कथित नुकसान एम्स को हुआ है।
सीबीआई ने एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में तैनात तत्कालीन अतिरिक्त प्रोफेसर बलराम जी उमर, एनाटॉमी विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह, तत्कालीन सहायक प्रोफेसर अनुभव अग्रवाल , प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, लेखा अधिकारी दीपक जोशी, खनेजा कांप्लेक्स शकरपुर दिल्ली स्थित प्रोमेडीक डियाईसेस के स्वामी पुनीत शर्मा के खिलाफ केस दर्ज किया है।