लखनऊ
उत्तर प्रदेश में बुधवार को हुए एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में प्रदेश के चलते पुलिस महानिदेशक को विभागीय कार्यों में रुचि न लेने की वजह से पद से हटा दिया गया।
उत्तर प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी भारी पड़ गई। DGP मुकुल गोयल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शासकीय कार्यों की अवहेलना, विभागीय कार्यों में कार्य क्षमता ना दिखाना और उनके सुस्त रवैया के चलते DGP पद से हटाकर नागरिक सुरक्षा का DG बना दिया है। मुकुल गोयल का सेवाकाल फरवरी 2024 तक है । वही उत्तर प्रदेश शासन की और से हुई इस कार्रवाई के पीछे हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में कई बड़ी घटनाएं घटित हुई है जिसके चलते उन पर यह कार्रवाई हुई है । उत्तर प्रदेश शासन ने ADG कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार को फिलहाल DGP पद का कार्यभार सौंपा है।
वही सूत्रों की माने तो हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में घटित कई वारदातों में ललितपुर के एक थाना परिसर में दुष्कर्म पीड़िता के साथ थानेदार द्वारा दुष्कर्म, चंदौली में पुलिस कर्मियों द्वारा दबिश में युवती की पिटाई होने के बाद मृत्यु होना, प्रयागराज में अपराध की ताबड़तोड़ बढ़ती घटनाएं, पश्चिमी यूपी में लूट की बढ़ती घटनाएं DGP मुकुल गोयल पर भारी पड़ी।
यही नहीं मुकुल गोयल का पहले भी कई विवादों में नाम आ चुका है 2006 में मुलायम सिंह की सरकार में हुए पुलिस भर्ती घोटाले में उनका नाम सामने आया था इस मामले में अभी याचिका हाईकोर्ट में लंबित है। तो वही एक दूसरे मामले में वह निलंबित भी हो चुके हैं।
अब चर्चाओं का बाजार गर्म होता जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी कौन होंगे। वरिष्ठता के आधार पर 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी आरपी सिंह सबसे वरिष्ठ डीजी है और मौजूदा समय में प्रशिक्षण निदेशालय में तैनात है। दूसरे नंबर पर 1987 बैच के आईपीएस ऑफिसर बीजी जीएल मीना, तीसरे पर 1988 बैच के डीजी भर्ती बोर्ड राजकुमार विश्वकर्मा , चौथे पर 1988 बैच के डीजी इंटेलिजेंस देवेंद्र सिंह चौहान और पांचवे पर 1988 बैच के डीजे जेल आनंद कुमार है। इनमें देवेंद्र सिंह चौहान उत्तर प्रदेश DGP की रेस में सबसे आगे हैं । उनकी गिनती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद अधिकारियों में जानी जाती है। परंतु अभी केंद्र से पैनल मांगा जा सकता है। जिसमें चौहान का नाम शामिल होना मुश्किल नजर आ रहा है । क्योंकि चौहान वरिष्ठता क्रम में चौथे नंबर पर हैं, लेकिन पैनल जुलाई के बाद मांगा जाता है। तो उसमें चौहान का नाम शामिल हो सकता है । क्योंकि तब जीएल मीना का सेवाकाल 6 माह से भी कम रह जाएगा और यूपीएससी के नियमों के तहत 6 माह के कम कार्यकाल वाले को पैनल में शामिल नहीं किया जा सकता है ।