कर्णप्रयाग:
जोशीमठ में भूधंसाव की घटना के बाद अब कर्णप्रयाग में भूधंसाव के कारण लोग खौफ के साए में जीने पर मजबूर है। बड़ी संख्या में लोगों के घरों में आ रही दरारों के कारण लोग अपना घर छोड़कर भागने पर मजबूर हैं। अब तक 38 घरों पर लाल क्रॉस का निशान लगाया जा चुका है, जो अब रहने लायक नहीं रहे हैं।
कर्णप्रयाग के तहसीलदार सुरेंद्र देव द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अब तक 38 घरों को खाली कराया जा चुका है। जिन परिवारों को घर छोड़ने पड़े हैं उनके रहने की व्यवस्था नगर पालिका और आईटीआई कॉलेजों में की जा रही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कर्णप्रयाग में घरों में दरारें आने की शिकायतें लंबे समय से आ रही थी लेकिन शासन—प्रशासन के स्तर पर इसे बहुत गंभीरता से नहीं लिया गया। कुछ लोगों द्वारा दरारों के कारण जर्जर हो चुके घरों को खुद ही छोड़ा जा चुका था जबकि कुछ ऐसे लोग भी थे जो सरकार व प्रशासन की लापरवाही से नाराज थे और उनका कहना था कि भले ही वह अपने घरों में दबकर मर जाए लेकिन अपना घर छोड़कर नहीं जाएंगे। इन लोगों का यह भी कहना है कि घर छोड़ भी दें तो जाएंगे कहां? जब शासन—प्रशासन कुछ व्यवस्था करने को तैयार नहीं है। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि ऑलवेदर चारधाम रोड के लिए जो पहाड़ों को काटा जा रहा है उसके कारण उनके घरों में दरारे आ रही हैं। साथ ही वह कहते हैं कि जब चार—छह घरों में दरारें आई थी तभी से लोग तहसीलदार व जिले के अधिकारियों को बता रहे हैं लेकिन जब समस्या इतनी बढ़ गई और बढ़ती ही जा रही है तब जाकर अधिकारियों की नींद टूटी है और अब लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम शुरू किया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा आज कर्णप्रयाग में मकानों में आ रही दरारों को लेकर एक 8 सदस्यीय समिति भी बनाई गई है जो मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेगी और दो—चार दिन में ही सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।