बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए आयोजित की जाने वाली भर्ती परीक्षाओं पर कब्जा जमा चुका ‘नकल माफिया’ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निशाने पर है। धामी के सख्त निर्देश पर सूबे की एसटीएफ संगठित अपराध करने वाले इस शातिर गिरोह के पीछे हाथ धोकर पड़ गई है। गैंग के 18 सदस्य अभी तक एसटीएफ की गिरफ्त में आ चुके हैं जबकि इसके सरगना की तलाश में उत्तराखण्ड से लेकर उत्तर प्रदेश तक जगह-जगह ताबड़तोड़ छापे मारे जा रहे हैं। प्रदेश में यह पहला मौका है जब नकल माफिया और उसके नेटवर्क को नेस्तनाबूत करने के लिए युद्धस्तर पर अभियान चलाया जा रहा है।
समूह ग के पदों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के उद्देश्य से वर्ष 2014 में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन गया था। इससे पूर्व यह जिम्मेदारी उत्तराखण्ड प्राविधिक शिक्षा परिषद के पास थी। गठन के बाद से आयोग अब तक लगभग 90 परीक्षाएं आयोजित करवा चुका है। इनमें से कई परीक्षाओं में अनियमितता और गड़बड़ियों की शिकायतें मिलीं। ग्राम विकास अधिकारी 2016, एलटी परीक्षा 2017, स्नातक भर्ती परीक्षा 2018, यूपीसीएल-पिटकुल की टेक्निकल ग्रेड परीक्षा 2018, वन आरक्षी परीक्षा 2019, सहायक समीक्षा अधिकारी, लेखाकार, सहायक लेखाकार परीक्षा आदि परीक्षाएं सवालों के घेरे में रहीं। अप्रत्याशित परीक्षाफल से साफ संकेत मिले कि परीक्षाओं में नकल माफिया की पूरी दखल रही। इनमें से कुछ मामलों में पुलिस ने मुकदमे भी दर्ज किए, निचले स्तर पर शामिल कुछेक लोगों की गिरफ्तारियां भी हुईं लेकिन माफिया पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। इसके उलट आयोग को कुछ परीक्षाएं रद्द कर दुबारा आयोजित करनी पड़ीं। नतीजा यह हुआ कि माफिया के हौसले बुलंद होते चले गए और उसका गिरोह राज्य के बाहर पैर पसारकर ‘अन्तर्राज्यीय’ हो गया। इसी बीच उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 4 एवं 5 दिसंबर 2021 को स्नातक स्तरीय परीक्षा आयोजित की जिसमें करीब 160000 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी एवं 916 अभ्यर्थी चयनित हुये। परीक्षा परिणाम घोषित होते ही स्पष्ट हो गया कि इस परीक्षा में भी नकल माफिया ने एक बार फिर पेपर लीक कर बेरोजगार युवओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। बेरोजगार महासंघ ने इसकी लिखित शिकायत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से की। शिकायत मिलते ही धामी ने पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को इस मामले में मुकदमा करते हुए सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। नकल माफिया के अतिशीघ्र जेल की सलाखों के पीछे भेजने के सख्त निर्देश दिए गए। 22 जुलाई 2022 को इस मामले में आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 34 के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए जांच एसटीएफ को सौंप दी गई। मुख्यमंत्री के मिजाज को भांपते हुए एसटीएफ ने तेज तफ्तीश करके अब तक 18 अभियुक्तों की गिरफ्तारी कर ली है। इन अभियुक्तों में एक जिलापंचायत सदस्य, 7 सरकारी कर्मचारी और 3 आउटसोर्स कर्मी भी शामिल हैं। सोशल मीडिया में वायरल हुआ कि आरोपी जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह सत्ताधारी दल भाजपा से जुड़ा हुआ है तो मुख्यमंत्री धामी ने पुलिस महानिदेशक को दो टूक शब्दों में कहा कि कोई कितना भी रसूख वाला क्यों न हो आरोपी को हर हाल में गिरफ्तार किया जाए। एसटीएफ ने तत्काल हाकम सिंह को गिरफ्तार कर लिया। लगे हाथ हाकम की भाजपा से भी छुट्टी कर दी गई। उसे नकल गिरोह की अहम कड़ी माना जा रहा है। हाकम की निशानदेही पर एसटीएफ गैंग के सरगना की पहचान कर चुकी है। तफ्तीश में सामने आया है कि इस पूरे प्रकरण में अन्तर्राज्यीय गिरोह का हाथ है जिसमें आगे बड़े माफिया की गिरफ्तारी होनी तय है। गिरोह के तार उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से जुड़े बताए जा रहे हैं। एसटीएफ अगर असली मास्टरमाइंड तक पहुंचती है तो यह उत्तराखण्ड में नकल माफिया के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी और प्रभावी कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री का रवैया इतना सख्त है कि आयोग के अध्यक्ष पूर्व आईएएस एस राजू को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और सचिव संतोष बडोनी को पद से हटा दिया गया। इसके साथ ही उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के गठन का मकसद पूरा हो सके इसके लिए मुख्यमंत्री ने सुधारात्मक प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। उनके निर्देश पर आयोग में परीक्षा नियंत्रक के साथ ही नए सचिव की नियुक्ति भी कर दी गई है। वो तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त की जा रही हैं जिनसे उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में नकल माफिया की दखल को हमेशा के लिए खत्म करते हुए भर्ती परीक्षाओं की फुल प्रूफ योजना तैयार की जा सके। धामी का कहना है कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा ।
रिपोर्ट : दीपक फर्सवान ( वरिष्ठ पत्रकार )