राजभवन :
सोमवार को आईएफएस एसोसिएशन उत्तराखण्ड के वार्षिक अधिवेशन के समापन सत्र में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने प्रतिभाग किया। राजभवन ऑडिटोरियम में आयोजित इस सत्र में राज्यपाल ने भारतीय वन सेवा के अधिकारियों से वन एवं इसके उत्पादों को आर्थिक गतिविधियों के साथ जोड़ने को कहा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में 70% से अधिक वन क्षेत्र हैं। इस अमूल्य वन संपदा को हमें प्रदेश की समृद्धि के लिए इस्तेमाल करना होगा। उत्तराखण्ड की जैव विविधता हमारे लिए वरदान के रूप में है इसका सही इस्तेमाल किया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि वनों के माध्यम से लोगों की आजीविका को जोड़ने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए आमजन के सहयोग के साथ-साथ अन्य देशों में इसकी रोकथाम किये जाने के साथ नवीन तकनीकों का उपयोग किया जाए। उन्होंने मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने, जंगली जानवरों द्वारा फसलों की क्षति को कम किये जाने सहित अन्य चुनौतियों के लिए भी अधिकारियों को स्थायी समाधान खोजने को कहा। उन्होंने कहा कि वन आधारित पर्यटन गतिविधियों को संतुलित रूप से और अधिक बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है।
राज्यपाल ने अधिकारियों से अपने मिशन व विजन को उत्तराखण्ड के विकास के लिए केंद्रित कर अपनी सहभागिता देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वन विभाग के सम्मुख कई चुनौतियां हैं और इन चुनौतियों के समाधान वन सेवा अधिकारियों को खोजने होंगे। राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि इस अधिवेशन से राज्य की वन एवं पर्यावरण से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के समाधान अवश्य मिलेंगे। इस कार्यक्रम के दौरान प्रमुख वन संरक्षक श्री विनोद कुमार सिंघल ने तीन दिवसीय अधिवेशन की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करायी। इस अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव डॉ. समीर सिन्हा, प्रमुख वन संरक्षक वन पंचायत सुश्री ज्योत्सना शिथलिंग, आईएफएस एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री कपिल लाल सहित भारतीय वन सेवा संघ के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।