राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह (से नि) ने सभी प्रदेशवासियों को संविधान दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँं दी हैं। उन्होंने कहा कि 26 नवम्बर, 1949 को भारत के लोगों ने भारत के संविधान को आत्मार्पित किया था।
राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि ‘‘मैं बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर सहित संविधान के सभी निर्माताओं को नमन करता हूँ। संविधान भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है और इसकी समस्त शक्तियों का स्रोत भी है।’’
राज्यपाल ने कहा कि डा0 अम्बेडकर जी की विलक्षण प्रतिभा, कठोर परिश्रम और महान विचारों की व्यापकता से एक लोक कल्याणकारी संविधान की मजबूत संरचना संभव हुई थी।
राज्यपाल ने कहा कि संविधान दिवस हम सब के लिए भारत के संविधान में निहित सच्चे आदर्शों, सुदृढ़ सिद्धान्तों और पवित्र कर्तव्यों के बोध को स्मरण करने का दिन है। स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण के ऐतिहासिक कार्य में देश के अनेक महा मनीषियों एवं मातृशक्ति नें एक ऐसा शानदार दस्तावेज तैयार किया जो एक राष्ट्र के रूप में हमारे लिए एक प्रकाश स्तंभ है। इसकी रौशनी में हमारा राष्ट्र और नागरिक भारत के स्वर्णिम भविष्य की संरचना कर रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि जिस प्रकार हिमालय के गोमुख शिखरों से प्रवाहित होने वाली गंगा अपने अक्षुण्ण प्रवाह में अनेक जलधाराओं को समाहित करती है उसी प्रकार भारत का संविधान अपने मूल स्वरुप को अक्षुण्ण बनाये रखते हुए समय के साथ नित्य नये कलेवर को आत्मसात् करते हुए नव चैतन्यशील है। इस रूप में हमारा यह संविधान अविरल है। संविधान निर्माता मनीषियों ने इसके प्रवाहमय स्वरुप को देख कर ही इसे एक अमर दस्तावेज कहा था।
राज्यपाल ने कहा कि संविधान दिवस के इस अवसर पर हमें हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा जताए गये विश्वास को बनाये रखने के लिए संविधान में दिये गये कर्तव्यों के प्रति पूर्ण सचेत होना होगा। प्रत्येक नागरिक को संविधान में निहित कर्तव्यों का बोध और आचरण करना होगा। संविधान निर्माताओं की इस भावना को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए संविधान के मूल्यों और इसमें निहित मूल कर्तव्यों को पूर्णतः जीवन में उतारना होगा।