उत्तराखंड की बेटी अंकिता की मृत्यु से पता चलता है उत्तराखंड में मृत होती नेताओं के अन्दर से जन भावनाएं

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ऐसी चुप्पी क्यों ? 

उत्तराखंड को 22 वर्ष से भी अधिक हो गए है। उत्तराखण्डियों ने आते जाते 12 मुख्यमंत्री देखे जिनमे से कुछ ही ऐसे निकले जिनका नाम आज भी जनता विकास के लिए दुहाई देती नहीं थकते है ।

देखा जाए तो उत्तराखंड को एक पर्यटक राज्य के रूप में विकसित करने का सपना आज उत्तराखंडियों के गले की फांस बनता जा रहा है। 2000 से 2022 अब तक उत्तराखंड के अंदर पर्यटक प्रदेश के नाम पर कई बड़े छोटे होटल व रिसॉर्ट खोले गए जो ज्यादा तर अन्य राज्यों से आये पैसे वालो ने बनाये या फिर उत्तराखंड के रसूखदार जो सत्ता में रहे और भारी भरकम कमाई से बनाये गए।

उत्तराखंड के पहाड़ो के गरीब बच्चों को इन होटलों में काम तो मिल जाता है पर पैसा उतना नहीं दिया जाता है, जितना कि रात दिन काम लिया जाता है। यही कारण है कि कई पहाड़ी बच्चे आज भी अन्य राज्यों समेत विदेशों के भी रुख कर रहे है। जो उत्तराखंड में होटल या रिजॉर्ट में है उनका कोई हाल चाल पूछने वाला नहीं है कि वे अपने ही प्रदेश में किस हाल में काम कर रहे है।

दुःखद तो तब हुआ जब बीते दिनों से चल रहे अंकिता भंडारी मर्डर केस का प्रकरण सामने आया। एक वरिष्ठ नेता का बेटा व सरकार में राज्य मंत्री पद पर रहे नेता के भाई पुलकित आर्य के रिसॉर्ट में उत्तराखंड की की बेटी अंकिता का गलत काम करने से मना करने पर पुलकित आर्य द्वारा हत्या कर देना। ये उत्तराखंड के उत्तराखंडियों के लिए शर्म की बात है कि अपनी भूमि में हम अपनी माँ बहनों की हिफाजत करने में असमर्थ हो गए है।

उत्तराखंड तब और भी शर्मसार हो जाता है जब आज 19 वर्षीय पीड़ित मृत अंकिता की चिता जलती रही और उत्तराखंड का एक भी सत्ता धारी नेता हो या विपक्ष का नेता उसको कंधा देने नहीं पहुंचा ।

बस फ्रंट फुट पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह घामी ही पीड़ित परिवार से गुहार लगाते नजर आए और न्यायक जांच में सरकार की तरफ से सहयोग देने का पूरा विश्वास दिया तब जा कर पीड़ित अंकिता के शव को पंचतत्व में विलीन किया गया।

सवाल उन नेताओं से जो दूर से ही दबी जुबान से अंकिता के लिए सहानुभूति जताते रहे कई तो तब बोले जब सोशल मीडिया पर जनता की फटकार से जागे।

जैसे उत्तराखंड सरकार की महिला शशक्तिकरण एवं बाल विकास कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य अंकिता के शव चीला बेरज से मिल जाने के बाद भी सोई हुई थी और इस बड़ी घटना पर एक शब्द बोले व लिखने से कतराती रही । कारण साफ नजर आ रहा था आरोपी पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य से मंत्री महोदय की निकटता 

यही हाल पूर्व मुख्यमंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल निशंक का रहा

 

अब बात करते है उत्तराखंड के बीते 2022 के चुनाव में सरकार के सपने देखने वाली कांग्रेस के जो सपना कांग्रेसी नेताओं साकार न हो पाया।

आज अंकिता केस पर विपक्ष की भूमिका पर सरकार से ज्यादा उंगली उठाई जा रही है। कांग्रेस के सभी नेताओं ने घर बैठे या दूर से ही उत्तराखंड की बेटी के लिए दबी जुबान से इंसाफ तो मंगा पर सड़को या उसके घर श्रीनगर जा कर उसके शोकाकुल परिवार को ढांढस तक नहीं दी। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जहा बद्रीनाथ जी का आशीर्वाद लेने में व्यस्त रहे तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन मेहरा भी इस प्रकरण से बचते नजर आए तो कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल जो श्रीनगर की जनता को अपना सब कुछ मानते है वो भी देहरादून में एक न्यूज़ चैनल पर दुख व्यक्त करने के ये अपनी पारी का इंतजार करते रहे पर उत्तराखंड की बेटी अंकिता की अंतिम यात्रा में न जा सके ।

अंत में तो ये दुर्भाग्य हुआ की उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ०धन सिंह रावत जो श्रीनगर के विधायक भी है वे आज दिल्ली में एक कार्यक्रम में इतने व्यस्त नजर आए की उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा

भले ही आज अंकिता हमारे बीच से चली गई हो पर उत्तराखंड के उत्तराखंडियों को वो सन्देश दे कर गई है कि आज हम और हमारे नेता कैसे इस सुंदर प्रदेश के कातिल बनते जा रहे है। 

 

 

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