उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव व वरिष्ठ IAS अफसर ओमप्रकाश देहरादून में रहते हुए आज बेहद खामोशी के साथ देश के सबसे ताकतवर कैडर की नौकरी से रिटायर हो गए है। प्रदेश में कभी उनके नाम का डंका नौकरशाही में बजा करता था। एक बार फिर साफ हो गया कि ताज और ताकत न हो तो साथ वाले ही सबसे पहले साथ छोड़ देते हैं। साथ ही आज उत्तराखंड के IPS और IGP पुष्पक ज्योति भी रिटायर हो गए।
1987 बैच के IAS ओमप्रकाश कभी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की आँख के तारे माने जाते थे। एक समय ऐसा भी था जब ये कहा जाता था कि जब तक ओमप्रकाश न चाहे कोई भी मुख्यमंत्री से तब तक कोई फाइल या काम नहीं करा सकते थे। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार में ओमप्रकाश का दबदबा ये था कि IAS और IPS अफसरों की एक लॉबी के वे GodFather माने जाते थे। उनके आफिस और आवास तक पहुँच बनाने की कोशिश करने वालों की लंबी लाइन हुआ करती थी।
आपसी बातचीत में ओoपी नाम से भी पहचाने जाने वाले इस नौकरशाह का पराभव सत्ता में झा दंपत्ति (नितेश-राधिका) के बेहद तेजी और प्रभावशाली ढंग से उदय के साथ शुरू हुआ। फिर वह त्रिवेन्द्र राज में ही एक किस्म से सत्ता के अहम मामलों से दरकिनार कर दिए गए। पुष्कर सिंह धामी ने CM पद की शपथ पहली बार जब ली तो सबसे पहला काम उस वक्त भी CS ओमप्रकाश को हटाने का किया। उनकी जगह डॉ.सुखविंदर सिंह संधु को लाया गया।
OP को राजस्व परिषद में Chief Commissioner बना के एक किस्म से Cold Stor में डाल दिया गया। वह गुमनामी में खो गए। UP में इस कुर्सी पर CS से Senior या फिर जिनका डिब्बा गोल करना होता है, उसको बिठाया जाता है। वहाँ Chairman (Board of Revenue) कहा जाता है। उत्तराखंड के IAS-IPS अफसरों का आलम ये है कि उनको अपने कैडर के अफसरों से भी कोई खास लगाव नहीं दिखता है। दो दिन पहले IPS और IGP पुष्पक ज्योति ने खुद के रिटायरमेंट के उपलक्ष्य पर IPS Colony-किशनपुर में Dinner दिया था।
ओमप्रकाश भी पत्नी सहित पहुंचे थे। गिनती के 15 फीसदी लोगों ने उनसे मिलने और नमस्ते करने की औपचारिकता निभाई। इनमें अधिकांश IPS थे। पुष्पक भी IPS की सेवा से आज ही रिटायर हुए। माहौल में खुद को मिसफिट महसूस करने के चलते ओमप्रकाश बाकी मेहमानों से बहुत पहले चले गए। OP के आलोचक और विरोधी भले लाख हों, लेकिन ये भी सच है कि काम करने या कराने में वह बेहद स्मार्ट और फुर्तीले थे। उनकी एक बड़ी कमी उनका रिजर्व स्वभाव भी माना जाता था। वह जल्दी से किसी के साथ भी घुलने-मिलने और ठहाके लगाने वालों में नहीं थे। इससे भी उनको नुक्सान पहुंचा।