हरिद्वार स्थित पेट्रोल पंप के सामने नगर निगम के कूड़े का डंपिंग ग्राउंड है, जो लगभग 6 बीघा जमीन पर मौजूद हैं और बाजार के भाव पर इसकी कीमत लगभग 60 से 70 करोड़ के आसपास बताई जा रही हैं। बीते शनिवार को कुछ लोगो ने अचानक पुलिस लेकर नगर निगम के डंपिंग ग्राउंड पर तार बाढ़ करने की कोशिश की और नगर निगम की कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों को जमीन खाली करने को कहा और दावा किया कि जमीन नगर निगम की नहीं बल्कि उनकी है। मामला बिगड़ता देख, नगर निगम के उप नगर आयुक्त गोपाल राम बिलवाल मौके पर पहुंचे और उन्होंने दावा करने वाले व्यक्ति से कहा आप जमीन यू ही खाली नहीं करा सकते है। यदि जमीन आपकी है तो पेपर लेकर नगर निगम कार्यालय में आए और तथ्यों को साबित करें।
वही खाता ख़तूनी के हिसाब से नगर निगम की इस जमीन पर एक नज़र डाली जाए तो ये नदी की जमीन है जिसमें नगर निगम देहरादून शहर के कई मोहल्लों का कूड़ा डंप करता है ।
सवाल ये उठता है कि पटेल नगर पुलिस टीम दावेदार के साथ रात में नगर निगम को बिना नोटिस के जमीन खाली कराने और तार बाढ़ करने कैसे पहुंची ? पटेल नगर पुलिस ने नगर निगम के अधिकारियों को न तो सूचित किया और न जिला अधिकारी कार्यालय को । नगर निगम के अधिकारियों को तब पता चला जब पुलिस की मौजूदगी में दावेदार ने निगम की कूड़े उठाने वाले मजदूरों व वाली गाड़ियों को जमीन खाली करने के लिए धमकाया जिसके बाद मजदूरों की सूचना पर नगर निगम के अधिकारियों में हड़कंप मच गया और उप नगर आयुक्त गोपाल राम बिलवाल टीम के साथ हरिद्वार बाईपास स्थित मौके पर पहुंचे ।
वहीं पटेल नगर थाना प्रभारी के अनुसार जमीन के मालिकाना हक पर पुलिस को तहरीर दी गई थी । जिसके चलते पुलिस ने मौके पर जा कर जांच की। उन्होंने कहा कि जमीन की असली स्थिति क्या है ये राजस्व विभाग से ही पता चल पाएगा ।
वहीं शनिवार शाम को मामला तब सामने आया जब उप नगर आयुक्त ने जमीन के पूरे कागजात देखें तो जमीन नदी की जमीन है जो नगर निगम के अंतर्गत आती हैं। जिस पर कई वर्षों से नगर निगम का कूड़ा उठाने का डंपिंग ग्राउंड है। इस नदी की जमीन की प्रतिलिपि भी मौजूद हैं । सभी कागजात पर आगे नगर निगम कार्यवाही करने जा रहा है।
एक और मामला नगर निगम की करोड़ो की जमीन से ही जुड़ा है :
यह मामला, सहस्त्रधारा रोड स्थित एटीएस कॉलोनी का है जिसमें नगर निगम की देहरादून की महंगी जमीन स्थित हैं। जिसमें शासन ने जमीन की अदला-बदली करने को लेकर नगर निगम से पूरी रिपोर्ट तलब करने को एक बार फिर आदेश दिए हैं। इसमे भी दुबारा कई बिंदुओं में रिपोर्ट मांगी गई है ।
मिली जानकारी के अनुसार एक व्यक्ति के द्वारा एटीएस कॉलोनी में स्थित नगर निगम की कीमती जमीन को अपनी ढांग की जमीन बता कर अदला बदली करने की तैयारी की जा रही है। वहीं पहले ही नगर निगम ने अपनी पहली रिपोर्ट में ही स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि यहां जमीन पार्क के लिए प्रस्तावित है। इसलिए इसे अदला बदली करने के लिए नगर निगम को जनहित को देखते हुए ही कोई निर्णय लेना उचित होगा। वही शासन से जारी पत्र में तहसील व नगर निगम से एक बार फिर नए बिंदुओं पर रिपोर्ट तलब करने को कहा गया है। पत्र में पूछा गया है कि सम्बंधित व्यक्ति की जमीन से अदला बदली का नगर निगम की जमीन से करने का क्या उद्देश्य है ? अदला बदली करने से नगर निगम को क्या क्या फायदे है और क्या नुकसान है ? साथ ही दोनों जमीनों के सर्किल रेट क्या है ?
जब नगर निगम की जमीन के सर्किल रेट सामने आए तो अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई। जब एटीएस कॉलोनी में जमीन के रेट पूछे गए तो अधिकारियों की आंखे खुली की खुली रह गई । नगर निगम की 3800 वर्गमीटर जमीन का बाजार में भाव 30 करोड़ से 40 करोड़ का है।
जहा उत्तराखंड के पहाड़ों से लेकर देहरादून तक भूकानून की मांग उठाई जा रही है । वहीं करोड़ो रूपये की नगर निगम की जमीनों पर बढ़ते दावे भी इस ओर इशारा कर रहे है कि देहरादून शहर में कम होती जमीन और नगर निगम के पास बची जमीन भू-माफिया के लिए कब्जा करने के लिए एक आसन जरिया हो सकता है। जिसके पीछे कई बड़े रसूखदार बैठे हैं।