देहरादून :
*विकास के नाम पर पहाड़ के विनाश को रोकने के लिए सोनम वांगचुक के समर्थन में पंकज क्षेत्री का उपवास*
हिमालय को बचाने और लद्दाख की संस्कृति व लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक 26 जनवरी से कड़ाके की ठंड में उपवास पर बैठे हैं। वास्तव में सिर्फ लद्दाख का सवाल नहीं है। समूचे हिमालय और पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों को तबाही से बचाने की जरूरत हैं। उत्तराखंड भी इस संकट के मुहाने पर खड़ा है। जोशीमठ में भू-धंसाव से सैकड़ों परिवार बेघर होने के कगार पर हैं। कई इलाकों में मकान दररग्रस्त हो चुके हैं। यह बड़े संकट की आहट है। देहरादून, मसूरी और नैनीताल जैसे शहरों में अवैध निर्माण और नदी-नालों पर कब्जे की होड़ चरम पर है। जल स्रोतों को गंदे नालों में तब्दील कर दिया है। राज्य बनने के बाद से ही उत्तराखंड में प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों की लूट मची है। जबकि दूसरी तरह आपदाएं और जलवायु परिवर्तन के खतरे सामने खड़े हैं।
जल, जंगल और जमीन की लूट को रोकने के लिए हमें आवाज उठानी ही पड़ेगी। दरकते पहाड़ों की चीत्कार सुननी होगी। वरना बहुत देर हो जाएगी। हिमालय और पहाड़ों को बचाने की सोनम वांगचुक की मुहिम को समर्थन देने और उत्तराखंड में विकास के नाम पर विनाश की परियोजनाओं खिलाफ आज #ClimateFast के तहत एक दिवसीय उपवास पर माँ अम्बिका देवी मंदिर, शहंशाही आश्रम देहरादून में बैठ रहा हूँ। पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील हिमालय को बचाने हमें आवाज उठानी ही होगी। वरना बहुत देर हो जाएगी।