देहरादून:
श्री केदारनाथ धाम के आध्यात्मक वातावरण और करोड़ों हिंदुओ की आस्था को अपने प्रोफेशनल डॉग के माध्यम से कैश करने की कोशिश करने वाले यू ट्यूबर पर कार्रवाई का आदेश देने वाले श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय को सोशल मीडिया पर धमकियां और अभद्र टिप्पणियों का सामना करना पड़ रहा है। सोशल मीडिया में इस मुद्दे पर तथाकथित वन्य जीव प्रेमी बनकर सनातन धर्म का मज़ाक बनाने वालों की बाढ़ आई हुई है। आपराधिक व हिन्दू संस्कृति विरोधी मानसिकता वाले लोग केदार भूमि में अनाधिकृत विडियो शूट करने करने वालों ऐसे लोगों के पक्ष में खुल कर सामने आ रहे हैं, जो अपने सोशल मीडिया अकाउंट में इसी तरह लाइक, व्यूज और फॉलोअर बढ़ाने के लिए जाने जाते है।
दरअसल, यह सारा प्रकरण तब सामने आया जब गाजियाबाद निवासी एक यू ट्यूबर के केदारनाथ दर्शन का वह विडियो वायरल हुआ, जिसमें वह अपने हस्की नस्ल के कुत्ते के साथ श्री केदारनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करते नज़र आया। यू ट्यूबर ने मंदिर प्रांगण में मौजूद भगवान नंदी की मूर्ति को अपने कुत्ते के पंजों से छुवाया और एक तीर्थ पुरोहित के द्वारा कुत्ते का तिलक कराया। सोशल मीडिया पर इस विडियो के वायरल होने और श्रद्धालुओं द्वारा इससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोपों के बाद बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र ने अधिकारियों को यू ट्यूबर के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए।
बीकेटीसी के अध्यक्ष के इन निर्देशों के बाद तथाकथित एनिमल लवर उन पर आक्रामक हो उठे। पशुओं के प्रति संवेदनशीलता और प्रेम दिखाने वाले कई पशु प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर अजेंद्र के खिलाफ आक्रामकता दिखाने में सारी मर्यादाओं को लांघ दिया। पशुओं के प्रति असीम प्रेम दिखाने वाले एक ट्विटर यूजर ने अजेंद्र पर मिट्टी का तेल छिड़क कर जिंदा जलाने तक की बात कह डाली है।
इंस्टाग्राम पर भी अजेंद्र को कथित पशु प्रेमियों द्वारा बेहद अभद्र भाषा का भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। इससे इन पशु प्रेमियों की पशु वाली मानसिकता का प्रमाण मिल रहा है। कुत्ते से पूजा कराने वाले यू ट्यूबर के पक्ष में खड़े लोगों का कहना है कि स्वान (कुत्ता) भैरव का स्वरूप है। इसलिए यदि कोई व्यक्ति कुत्ते से पूजा करा रहा है तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
वहीं बड़ी संख्या में सोशल मीडिया यूजर कुत्ते से पूजा कराने के मामले में घोर आपत्ति जता रहे हैं। उनका कहना है कि कुत्ते को भैरव का स्वरूप माना जाता है। मगर कुत्ते की पूजा कोई नहीं करता है। हिंदू धर्म में पशुओं को भोजन अथवा चारा देने की परंपरा है। पूजा केवल गाय माता की ही की जाती है।
कई यूजर का कहना है कि कोई कुत्ते को अपना पुत्र माने अथवा पिता, लेकिन वह अपने घर में कुत्ते से जो मर्जी करा ले। मगर जिस स्थान से करोड़ों करोड़ों लोगों की आस्था व श्रद्धा जुड़ी है, वहां पर ये सब करना कतई उचित नहीं है।
कुछ यूजर का मानना है कि एक बेजुबान जानवर से ऐसे नाटकीय संस्कार करवाने वालों की मंशा अपने यू ट्यूब चेनल के व्यूवर्स व सब्सक्राइबर बढ़ा कर पैसा कमाने की है। पैंसे कमाने की होड़ में हिंदुओं की आस्था पर चोट पहुंचाना कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
गौरतलब है कि केदारनाथ मंदिर वाले वीडियो से पहले भी उक्त यू ट्यूबर का कुत्ता चर्चा में रहा है। इससे पूर्व टिकटॉक पर उसका वैरिफाइड पेज था। वहीं इंस्टाग्राम भी उसके 76 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। फिलहाल धार्मिक आस्था से अलग भी देखें तो यह प्रकरण सीधा सीधा आपराधिक मामला है, क्यूंकि अनाधिकृत तरीके से बिना प्रशासनिक अनुमति के किसी जानवर को भीड़भाड़ वाले मंदिर में ले जाया गया। यह न केवल इस दौरान वहाँ उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं व स्वयं धाम की सुरक्षा के लिए भी खतरनाक हो सकता था। उस पर बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के व्यवसायिक विडियो शूट करना और उस विडियो का सोशल मीडिया पर डालकर व्यवसायिक लाभ लेना पूरी तरह से गैरकानूनी है।
धार्मिक, सामाजिक व कानूनी दृष्टि से आपराधिक श्रेणी में आने वाले इस दुस्साहसिक प्रकरण का समर्थन वाले तथाकथित वन्य जीव प्रेमी अब सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए हैं। पशु पीड़ा व उनकी नब्ज तक पकड़ने का दावा करने वाले सोशल मीडिया ट्रोलर को केदार धाम ले जाये गए उन तीन बेजुबानों की तकलीफ का भी अंदाज़ा नहीं हुआ, जो जबरदस्ती बिना किसी तैयारी के एकदम विपरीत झुलसाने वाले वातावरण से बर्फीले पहाड़ों में पहुंचाए गए। इस सारे प्रकरण के संज्ञान में आते ही त्वरित कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज़ कराने का आदेश देने वाले बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र की राय स्पष्ट है। उनका कहना है कि बाबा केदार के प्रति करोड़ों लोगों की आस्था है। यूट्यूबर्स व व्लॉगर्स की इस तरह की गतिविधियों से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है। इन लोगों में कोई आस्था नहीं है। वे यहां सिर्फ रील्स और वीडियो शूट करने के लिए आते हैं, जिनके बैकग्राउंड में बॉलीवुड गाने बज रहे होते हैं। यह उन तीर्थयात्रियों के रास्ते में आते हैं, जो बाबा केदारनाथ का आशीर्वाद लेने आते हैं।
बहरहाल, धार्मिक आस्था व कानूनी पहलुओं से भी अलग इस घटना पर विचार करे तो इस तरह की प्रवृति को किसी भी तरह जायज नहीं ठहराया जा सकता है। क्यूंकि यदि ऐसी प्रवृत्ति का चलन बढ़ गया तो धार्मिक स्थलों की महत्ता कम होगी। लिहाजा, वन्य जीव प्रेम की आड़ में ऐसी अराजक प्रवृति को नज़रअंदाज़ करना या बढ़ावा देना किसी भी दृष्टि में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। शासन- प्रशासन को व्यवसायिक लाभ के लिए ऐसे कृत्य करने वालों व सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर आपराधिक व भड़काने वाले बयान देने वालों के खिलाफ तुरंत सख्त से सख्त कार्यवाही करके एक नज़ीर पेश करनी चाहिए ।
ख़बर माध्यम : योगेश सेमवाल ( PS News)