देहरादून :
वैली ऑफ वर्ड्स, आईआईपी तथा सीएसआईआर के साझीदारी से हिंदी साहित्य कार्यक्रम आईआईपी में 29th आयोजित हुआ, कार्यक्रम लगभग 10 बजे शुरू हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ, द्वीप प्रज्वलन से हुआ। जिसके बाद एक स्वरचित सरस्वती वंदना पेश की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री उपस्थित रहे। मंच पर लक्ष्मी शंकर वाजपेई, डॉ. संजीव चोपड़ा, डॉ. अंजन खरे, सोमेश्वर पाण्डेय इन सभी विद्वानों ने उनका साथ दिया.मंच का संचालन सोमेश्वर पाण्डेय द्वारा किया गया। इसके बाद उपस्थिति सभी लेखकों का स्वागत पौधा दे कर किया गया, जिनमें रणेंद्र, शिरीष खरे, नवीन चौधरी , मिहिर सासवड़कर, आशीष कौल आदि प्रमुख लेखक व अनुवादक शामिल थे।उसके पश्चात एक-एक कर सभी मंच आसीन विद्वतों ने जनता को संबोधित किया। अपने संबोधन में डॉ. अंजन खरे ने “वैली ऑफ वर्ड्स”, की महत्ता बताते हुए कहा कि,” आईआईपी सीएसआईआर तथा वैली ऑफ वर्ड्स के इस साझे कार्यक्रम का नाम शब्दावली न होकर शब्दावैली होना चाहिए।“ मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर तथा तथा एक पौधा देकर उनका स्वागत सम्मान किया गया।
इसके पश्चात “तद्भव” पत्रिका का विमोचन किया गया। “तद्भव” पत्रिका का प्रकाशन लखनऊ से हुआ है। तथा इसके संपादक अखिलेश हैं, अखिलेश एक संपादक और लेखक हैं, और वृतांत, समीक्षाएं, तथा संस्मरण भी लिखते हैं।अखिलेश कहते हैं कि वे खुद को बेहद भाग्यशाली समझते हैं की वे बतौर संपादक इस पत्रिका से तथा वैली ऑफ वर्ड्स से जुड़ पाए। प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने अपने वक्तव्य में धर्म,अर्थ, काम, मोक्ष इन सभी पुरुषार्थ पर अधिक जानकारी साझा की।लक्ष्मी शंकर वाजपेई ने अपने वक्तव्य में युवाओं से भाषा, साहित्य से कटने के लिए चेताया और कहा कि, युवाओं को साहित्य, भाषा के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है।इसी के साथ कार्यक्रम का समापन शुभमनाओं के साथ हुआ।