जाने क्या कहा हरीश रावत ने :-
“पंजाब के दोस्तों विशेषत: कांग्रेसजन, मैं आपके प्यार और समर्थन को नहीं भूल सकता। मैं आपसे अलग नहीं हूँ। पार्टी के प्रति कर्तव्य की पुकार है कि मैं एक स्थान विशेषत: #उत्तराखंड में पूरी शक्ति लगाऊं। मेरे दिल में हमेशा पंजाब रहेगा। यूं भी मेरे दिल में एक पंजाब स्थाई रूप से बसता है, जहां से प्रतिदिन पंजाबियत की खुशबू मेरे मन को आनंदित करती है। दिवाली आ रही है, गुरु पर्व आ रहा है, आप सबको ढेर सारी बधाइयां”
दरअसल उत्तराखंड, यूपी और पंजाब में एक साथ अगले साल चुनाव होने हैं और उत्तराखंड में सत्ता में वापसी को बेक़रार कांग्रेस को हरदा को पहाड़ प्रदेश पर फोकस करने को लेकर फ़्रीहैंड मिलने से नई ताकत मिलेगी। वैसे हरीश रावत असम प्रभार लेकर पंजाब का ज़िम्मा मिलने के बाद से ही उत्तराखंड के बाहर ज्यादा काम करना नहीं चाहते थे लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से पंजाब कांग्रेस में कलह कुरुक्षेत्र छिड़ा उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी ने हरदा जैसे अनुभवी नेता के जरिए न केवल कैप्टन अमरिंदर सिंह से कुर्सी लेकर दलित चाहते चरणजीत सिंह चन्नी की ताजपोशी कराई बल्कि प्रधान पद पर क़ाबिज़ होते ही विवाद खड़ा कर बैठे नवजोत सिंह सिद्धू को भी ‘जगह’ दिखाने का काम कराया।
अब हरीश रावत को ठीक उत्तराखंड चुनाव से पहले पंजाब से फ्री कर दिया गया है। हालाँकि वे कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य जरूर रहेंगे लेकिन अब रावत को सौ फीसदी ताकत के साथ देवभूमि के दंगल में झोंकने की तैयारी है। खुद हरदा भी कह चुके कि वे कुछ माह उत्तराखंड पर ही फोकस करना चाहते हैं। jagritimedia.com दरअसल 2017 से रावत को एक टीस परेशान कर रही कि आखिर उनकी अगवाई में कांग्रेस को मोदी सूनामी में कैसे सबसे करारी शिकस्त मिलती है। रावत की रणनीति है कि बाइस बैटल में अब जब पांच साल की सत्ता का हिसाब बीजेपी को देना है और उसे तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलकर राज्य में राजनीतिक अस्थिरता की तोहमत के तीर भी झेलने हैं तथा राज्यों में मोदी मैजिक भी फ़ीका पड़ रहा, तब 2017 के संग्राम का हिसाब चुकता कर लिया जाए।
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस आलाकमान ठीक चु्नाव से पहले हरीश रावत को मुख्यमंत्री को चेहरा भी बनाता है या फिर पंजाब व केन्द्रीय पार्टी दायित्वों से मुक्त हुए हरदा अपने खास सियासी अंदाज से खुद ही माहौल अपने पक्ष में करने का करिश्मा दिखाते हैं। लेकिन इतना तय है कि हरदा को उत्तराखंड में पूरी ताकत के साथ झोंकने का संकेत देकर कांग्रेस नेतृत्व ने बीजेपी कैंप में खलबली तो मचा ही दी है।