चार धामों की शीतकालीन पूजा स्थलो का श्रद्धालुओं में जानकारी का अभाव : अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’

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जोशीमठ/चमोली:

ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज ने कहा कि
उत्तराखंड के चार धामों की शीतकालीन पूजा शीतकालीन पूजा स्थलो में निरंतर होती रही है। लेकिन लोगों को इस बारे में जानकारी न होने के कारण श्रद्धालु खुशीमठ , मुखीमठ, ऊखीमठ और जोशीमठ नहीं आ पाते हैं। इन स्थानों मे अधिक से अधिक तीर्थ यात्री आ कर पुण्य अर्चित करें, इसी उद्देश्य के लिए यात्रा की गई ।

चारधाम तीर्थ यात्रा के समापन के बाद स्थानीय पत्रकारों से बात करते हुए शंकराचार्य जी महाराज ने कहा शीतकालीन पूजा स्थलों की जानकारी अधिक से अधिक लोगों को हो इसके लिए सरकार के साथ ही स्थानीय और धार्मिक गतिविधि से जुड़े लोगों को पहल करनी होगी ।

बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद मानवीय गतिविधियां लगातार बढने पर चिंता जताते हुए कहा कि इस पर अंकुश लगाया जाना आवश्यक है । धामों की मर्यादा बनाए रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए । इसके लिए सरकार, शासन प्रशाशन को कठोर कदम उठाना होगा ।

सम्पूर्ण पैनखंडा के लोगों की लंबे समय से ज्योतिर्मठ में एक अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न चिकित्सालय की मांग थी । इस दिशा में वे निरंतर प्रयासरत थे । पहले चरण में भूमि चयन की प्रक्रिया पूरी हो है ।

ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज ने कहा कि बदरीनाथ भगवान की शीतकालीन पूजा नृसिंह मंदिर , जोशीमठ में की जाती है । इसमें किसी को भी संशय नहीं होना चाहिए ।

इस अवसर पर ज्योतिर्मठ प्रभारी मुकुन्दानंद , ज्योतिर्मठ के विशेष कार्याधिकारी श्री कैप्टन अरविंद सिंह जी, ज्योतिर्मठ के मुख्य कार्याधिकारी श्री चन्द्रप्रकाश उपाध्याय जी, ब्रह्मचारी श्रवणानन्द जी , मीडिया प्रभारी डॉक्टर बृजेश सती जी, ज्योतिर्मठ प्रबंधक विष्णुप्रियानंद ब्रह्मचारी जी, यमुनोत्री रावल अनिरुद्ध उनियाल जी, ज्योतिर्मठ पीठ पुरोहित आनन्द सती जी , महिमानन्द उनियाल जी , जगदीश उनियाल जी, अभिषेक बहुगुणा जी, प्रवीण नौटियाल जी, विजय सती जी आदि उपस्थित रहे ।

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