कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीत हासिल करने वाली कांग्रेस तीन दिन बाद भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री के नाम पर कोई फैसला नहीं कर पाई। बीते सोमवार 15 मई को दिन भर मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कांग्रेस में मंथन चलता रहा। साथ ही मुख्यमंत्री पद के दोनों दावेदार सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के मीडिया में अलग अलग बयान भी सुनने को मिले, परन्तु कांग्रेस आलाकमान कोई समाधान नहीं निकल पाई । मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार का नाम सबसे आगे चल रहा है ।
वही आज डीके शिवकुमार दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने आएंगे। आपको बता दें कांग्रेस हाईकमान ने सोमवार को बैठक के लिए शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय बुलाया था। जहां पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सोमवार के दोपहर दिल्ली तो पहुंच गये थे, परन्तु वहीं शिवकुमार ने अपने अस्वस्थ होने का हवाला देते हुए दिल्ली न पहुंच पाने का कारण बताया । जबकि उनकी तरफ से उनके भाई डीके सुरेश ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की।
वहीं कांग्रेस पर्यवेक्षकों के दल ने सोमवार को ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार पर नव निर्वाचित विधायकों की राय लेकर अपनी रिपोर्ट पार्टी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को दे दी हैं। कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आज मंगलवार को मल्लिकार्जुन खड़गे अपना निर्णय सुनाने से पहले एक बार कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात कर इस पर चर्चा करेंगे। तभी कर्नाटक के मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा होने की उम्मीद जताई जा रही हैं।
साथ ही कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और इस बार सीएम के दावेदार सिद्धारमैया पहले ही सोमवार को ही दिल्ली आ चुके हैं। कांग्रेस के अंदर के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सिद्धारमैया को शिवकुमार से ज्यादा विधायकों का समर्थन प्राप्त होने और सिद्धारमैया ही फिर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने की बाते सामने आ रही हैं। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस निर्णय से पहले डीके शिवकुमार के साथ बातचीत करेंग।
आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे, भंवर जितेंद्र सिंह और दीपक बाबरिया को पर्यवेक्षक बना कर भेजा था। इन तीनों पर्यवेक्षकों ने बीते रविवार को कांग्रेस के सभी नवनिर्वाचित विधायकों के साथ अलग-अलग बातचीत कर सभी की राय ली थी। नवनिर्वाचित विधायकों के साथ हुई बातचीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए गोपनीय मतदान भी कराया गया ।