दिल्ली:
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के डोईवाला से विधानसभा चुनाव न लड़ने के फैसले के बाद भले ही राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का माहौल गर्म हो गया है , यहीं नहीं विपक्षी दलों को भी बैठे बिठाये चुनावी मौसम में भले ही एक मुद्दा मिल गया हो पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के इस फैसले को कई बड़े राजनीतिक जान कार सही मायने में एक अच्छा फैसला मानते है, उनके अनुसार उत्तराखंड की राजनीति में आज अनुभवी नेताओं की कमी खलने लगी है जो राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर उत्तराखंड की बात कहने का दम खम रखता हो आज केंद्र में भाजपा की सरकार है। उत्तराखंड से राष्ट्रीय राजनेता के रूप में अब भाजपा के पास अनुभव के अनुसार त्रिवेन्द्र सिंह रावत वो चेहरा है जिनके चार साल के कार्यकाल में केंद्रीय सरकार द्वारा उत्तराखंड की धरती पर बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स चलाये गए और उनका लाभ भी 2019 के लोकसभा चुनाव से लेकर उत्तराखंड के अन्य चुनाव में भाजपा को लाभ मिला । 2017 से 2021 तक चार साल कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत की सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा ।
भाजपा ने भले ही जल्द बाजी में त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से किन्ही कारणों से हटा दिया हो पर आज उनके विधानसभा चुवान लड़ने से ज्यादा पार्टी को उनके अनुभव की जरूरत है चाहे वह विधानसभा चुनाव हो या राष्ट्रीय स्तर । माना जा रहा है भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के लिए मोदी सरकार में उनके लिए जगह बनने में जुट गया है।