उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (यूकॉस्ट) और केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) द्वारा उत्तराखंड में दिनांक 27 जून 2023 को अरोमा मिशन का शुभारंभ
उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (यूकॉस्ट) और केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) द्वारा विज्ञान धाम, झाझरा, देहरादून, में दिनांक 27 जून 2023 को अरोमा मिशन का शुभारंभ किया गया। इस मिशन का उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री, उत्तराखंड, श्री पुष्कर सिंह धामी जी के वीडियो संदेश के साथ हुआ । माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह बेहद खुशी का अवसर है कि सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ और यूकॉस्ट संयुक्त रूप से राज्य में इस अरोमा मिशन को शुरू करने जा रहे हैं। यह मिशन निश्चित रूप से उत्तराखंड के किसानों और स्थानीय निवासियों की आजीविका और आर्थिकी को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अरोमा मिशन भारत सरकार का एक महत्वाकांक्षी अभियान है, जिसके तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों की मदद से हम सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देंगे जिसके परिणामस्वरूप किसानों और विभिन्न हितधारकों के लिए आजीविका के अवसरों में बढ़ोतरी होगी । यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कहा कि यह मिशन चयनित उच्च मूल्य वाली सुगंधित फसलों के विभिन्न वैज्ञानिक और व्यावसायिक पहलुओं पर काम करेगा जिससे राज्य में सुगंधित उत्पादों के मूल्यवर्धन के साथ किसानों और कारीगरों के लिए आजीविका के नए अवसर उत्पन्न होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस मिशन के तहत विभिन्न वैज्ञानिक तकनीक और व्यावसायिक मॉडल विकसित किए जा सकते हैं। प्रोफेसर पंत ने कहा कि लाभार्थियों के सशक्तिकरण के लिए शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और सभी हितधारकों के बीच व्यवस्थित समन्वय स्थापित करने हेतु हम अपने विभिन्न विज्ञान और संचार कार्यक्रमों के माध्यम से इस दिशा में काम कर रहे हैं। यूकॉस्ट के संयुक्त निदेशक डॉ. डीपी उनियाल ने कहा कि इस मिशन के तहत राज्य में विभिन्न गतिविधियां और कार्यक्रम संचालित किये जायेंगे जो रोजगार के अवसर बढ़ाने और किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में सहायक होंगे।
डॉ. उनियाल ने कार्यक्रम का समन्वय किया और कहा कि इस मिशन को राज्य में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा और परिषद द्वारा स्थापित प्रौद्योगिकी संसाधन केंद्र (टीआरसी) राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में इस मिशन को लागू करने में सहायक होंगे। सीएसआईआर-सीमैप के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मनोज सेमवाल ने अरोमा मिशन का संक्षिप्त परिचय दिया और पूरे भारत में इस मिशन के तहत संचालित विभिन्न उत्पादों और गतिविधियों के बारे में जानकारी दी । उन्होंने कहा कि हम उत्तराखंड में इस मिशन की शुरुआत चंपावत जिले से कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने लैवेंडर की खेती और प्रचार के लिए जम्मू-कश्मीर में शुरू किये गए पर्पल मिशन और गेंदा की खेती और प्रचार के लिए हिमाचल प्रदेश में गोल्ड मिशन से भी सबको अवगत कराया। उन्होंने इस अरोमा मिशन से जुड़ी सफलता की कहानियां भी साझा कीं। उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों और सीमावर्ती जिलों के लिए देश भर में सीएसआईआर-सीमैप द्वारा संचालित कार्यक्रमों की जानकारी भी दी।
उन्होंने किसानों की आय को दोगुना करने और मिशन के सफल कार्यान्वयन के लिए क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाने और किसान हित समूह के गठन का भी सुझाव दिया। सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने उत्तराखंड में अरोमा मिशन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था और उद्यमिता विकास को बढ़ाने पर विचार व्यक्त किये । उन्होंने सीमैप की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी और कहा कि उत्तराखंड अपने विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों के कारण इस मिशन के लिए एक आदर्श राज्य है जो विभिन्न प्रकार की सुगंधित पौधों की खेती के लिए अनुकूल है तथा यह इकोटूरिज्म में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जो कि राज्य की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण पहलू है । उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा 100 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इकाइयों को विभिन्न अनुसंधान-आधारित प्रौद्योगिकियों को स्थानांतरित किया गया है। उनका मुख्य उद्देश्य कम अपशिष्ट के साथ आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक रूप से टिकाऊ प्रौद्योगिकियों को विकसित करना है । उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सीमैप द्वारा विकसित कई सुगंधित पौधे, विशेष रूप से ओरिगैनो को राज्य में विकसित किया जा सकता है जो ग्रामीण समृद्धि और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होंगे । इस कार्यक्रम में राज्य विशेष विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की गई तथा विशेषज्ञों द्वारा सुझाव दिया गया कि इस मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य में विभिन्न जैविक फसलों एवं उत्पादों के सर्टिफिकेशन के लिए सिंगल विंडो सिस्टम विकसित किया जाना चाहिए। इस कार्यक्रम में सीएसआईआर-सीमैप, ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी, जेबीआईटी, डॉल्फिन पीजी कॉलेज, बीएफआईटी, एचएआरसी, स्पेक्स, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), यूकॉस्ट और विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों के 100 से अधिक शोधकर्ता, शिक्षाविद, वैज्ञानिक और अधिकारी शामिल हुए। ने भाग लिया।