राजनीति में कोई दोस्त कोई दुश्मन नहीं होता बस अनुभव काम आता है, क्या कांग्रेस के लिए रामबाण साबित होंगे हरक सिंह ?

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देहरादून:
कयास लगाये जा रहे थे कि 2016 के प्रकरण के बाद शायद ही डॉoहरक सिंह रावत को कांग्रेस में लिया जाएगा , जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के मन में भी उनको दुबारा कांग्रेस में लेने के लिए दुविधा बानी हुई थी कि 2016 में उनकी कांग्रेस सरकार को चिल्ला चिल्ला कर गिरने वाले हरक सिंह रावत आज दुबारा कांग्रेस में अपनी जगह बनना चाहते है और वो भी तब जब भाजपा ने उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है । पर हरक सिंह रावत के बार बार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से माफ़ी मांगने और उनके राजनीतिक तजुर्बे ने अब दोबारा डॉo हरक सिंह रावत को कांग्रेस परिवार में उनकी पुत्रवधू समेत स्वीकार कर लिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक बड़े राजनेता है जिनका डंका राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है, जो जानते है कब और कहा राजनीति में किसका कैसे प्रयोग करना है और कब कहां क्या दावपेंच खेला जाना है ,माना जा रहा है कि इसी सोच के साथ उन्होंने हरक सिंह रावत को घर वापसी का मौका दिया होगा।
साथ ही डॉoहरक सिंह रावत की हम बात करे तो राजनीति के माहिर और टीम को एक साथ लेकर चलना उनको आता है इसलिए वो हर बार विधानसभा सीट बल कर नई सीट से जीतते चले आते है , यही नहीं गढ़वाल की कई सीट्स पर उनकी मजबूत पकड़ होने के कारण भी कई प्रत्याशियों को जिताने का भी दम रखते है।
अब ऐसे में देखना होगा कि जब हरक सिंह रावत को जब अपने घर कांग्रेस की वापसी में पहली बार इतना एडिचोटी का जोर लगाना पड़ा तो वो अब कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव में रामबाण साबित होते है कि नहीं।

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