बाघों को लेकर ये कैसा संरक्षण ? रामनगर ढेला रेस्क्यू सेंटर में बाघिन की मौत

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उत्तराखंड/रामनगर :

उत्तराखंड देश में बाघों की गिनती में तीसरे पायदान पर है। जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क के ढिकाला में पीएम मोदी भी Discovery Channel  के कार्यक्रम में नजर आए। जिम कॉर्बेट को लेकर पीएम भी यहां के बाघों के संरक्षण को लेकर बेहद उत्सुक रहते हैं ।

परंतु यहाँ, कई समय से जिम कॉर्बेट में बाघों और मानव के बीच संघर्ष में बढ़ोतरी देखने को मिली है। जिसमें कई लोगों की बाघों के हमले में जान जा चुकी है। जिसे लेकर बार-बार स्थानीय लोगों का विरोध वन विभाग पर टूटा है। वहीं जिमकॉर्बेट से बाघों को राजाजी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जा रहा है जिसकी प्रक्रिया वन विभाग की टीम द्वारा जारी है।

रामनगर में स्थित ढेला रेस्क्यू सेंटर में बाघिन की मौत:   

वहीं रामनगर में स्थित ढेला रेस्क्यू सेंटर में बीते शनिवार 9 मार्च को सेंटर में रेस्क्यू कि गई एक बाघिन ( Tigress ) की मौत के बाद वन विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है । घटना के संबंध में जानकारी देते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक दिगांथ नायक ने बताया कि इस बाघिन को वर्ष 2021-22 में धनगढ़ी क्षेत्र के समीप स्थित गर्जिया क्षेत्र में पनोद नाले के समीप इसके द्वारा मार्ग से गुजरने वाले कई बाइक सवारों पर हमला किया गया था जिसके बाद से इस इलाके में बाघ के आतंक को लेकर हड़कंप मचा हुआ था। इस मामले में उच्चाधिकारियों की अनुमति मिलने के बाद इस बाघिन को विभागीय पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा ट्रेंकुलाइज ( बेहोश ) कर रेस्क्यू करने के बाद ढेला स्थित रेस्क्यू सेंटर में रखा गया था। उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह इस बाघिन की अचानक मौत हो गई है। इस मामले में एक टीम गठित कर जांच शुरू कर दी गई है। साथ ही मौत का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने के बाद ही चल पाएगा ।

क्या दून ज़ू में लाये गए बाघ सुरक्षित रह पाएंगे ?

वहीं हाल ही में देहरादून के मालसी स्थित दून ज़ू में जिम कॉर्बेट से रेस्क्यू किये गए दो बाघ लाये गए है। पर कई पेंच फसने के कारण उन्हें ज़ू में जनता के दिखाने के लिए अनुमति नहीं मिल पाई। रामनगर में ढेला रेस्क्यू सेंटर में बाघिन की मौत ये भी सवाल खड़ा करती है कि देहरादून के दून ज़ू में लाये गए दो बाघों के लिए वहां पर उनके रख – रखाव के लिए पर्याप्त जगह है या फिर उत्तराखंड वन विभाग बाघों के नाम पर दून ज़ू की लोकप्रियता को बढ़ाना चाहता है ?

6 मार्च 2024 को जिम कॉर्बेट पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय :

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि “सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत को चिड़ियाघर में फेंक दिया गया है ” इसके अलावा कोर्ट ने महाभारत के एक उदाहरण का हवाला देते हुए अदालत ने कहा, “बाघ के बिना जंगल नष्ट हो रहे हैं और इसलिए सभी बाघों की रक्षा करनी चाहिए। हम टाइगर सफारी की अनुमति दे रहे हैं, लेकिन यह फैसले में जारी हमारे निर्देशों के अधीन होगा।

मौजूदा मामले में साफ है कि तत्कालीन वन मंत्री ने खुद को कानून से परे माना था और यह दर्शाता है कि किशन चंद ने सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत को कैसे हवा में उड़ा दिया था। इससे पता चलता है कि राजनेता और नौकरशाह कानून को किस तरह से अपने हांथ में लेते हैं।

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