उत्तराखंड सरकार अब रिवर्स पलायन की सच्चाई और संभावनाएं जानने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग राज्य के सभी जिलों में पहली बार व्यापक सर्वेक्षण कर रहा है, जिसमें यह जाना जाएगा कि कोरोना काल में गांव लौटे प्रवासी उत्तराखंडी आज किस स्थिति में हैं।
सर्वे का मुख्य उद्देश्य यह है कि गांव में रुकने वाले प्रवासियों ने किस प्रकार के स्वरोजगार या उद्यम शुरू किए, क्या उन्हें सरकारी योजनाओं से लाभ मिला, किस क्षेत्र में उन्हें सफलता मिली और वे किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
पलायन आयोग के अनुसार, कोरोना लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में लोग देश-विदेश से अपने गांव लौटे थे। अब तक की जानकारी के अनुसार करीब 2,000 प्रवासियों ने कृषि, पशुपालन, पर्यटन, बागवानी, होम स्टे जैसे क्षेत्रों में स्वरोजगार को अपनाया और अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं।
सरकार चाहती है कि गांव में लौटे लोग वहीं टिकें और स्थायी जीवन की संभावनाएं तलाशें। इसके लिए सरकार ने स्वरोजगार योजनाओं में सब्सिडी जैसे प्रावधान भी किए हैं। यह सर्वे इन योजनाओं की प्रभावशीलता और प्रवासियों की जमीनी स्थिति को आंकने में मदद करेगा।
क्या है खास?:
- सभी जिलों में पहली बार रिवर्स पलायन पर विस्तृत सर्वे
- स्वरोजगार, सरकारी सहायता और चुनौतियों पर रिपोर्ट तैयार
- दो माह में रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी
- प्रवासी उत्तराखंडियों की प्रेरक कहानियां और संघर्ष भी उजागर होंगे।
यह सर्वे उत्तराखंड में नीतिगत बदलावों की दिशा तय कर सकता है, जिससे पलायन की समस्या की जगह अब रिवर्स पलायन को अवसर में बदला जा सकेगा।