राहुल गांधी का इशारा और कांग्रेस में हलचल: उत्तराखंड के नेताओं में बढ़ी बेचैनी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। गुरुवार को वह नई दिल्ली में उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात करने जा रहे हैं। यह मीटिंग पार्टी संगठन को मजबूत करने और भविष्य की रणनीति तय करने के लिए बुलाई गई है। हालांकि इस बैठक से पहले राहुल गांधी के एक बयान ने कई नेताओं की धड़कनें तेज कर दी हैं।
दरअसल, राहुल गांधी ने हाल ही में मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक में “लंगड़े घोड़ों” (अक्षम और निष्क्रिय नेताओं) का जिक्र करते हुए यह साफ कर दिया कि पार्टी अब निष्क्रिय नेताओं को दरकिनार करने की दिशा में कदम उठाएगी। इस बयान के बाद से उत्तराखंड कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ और निष्क्रिय माने जा रहे नेताओं में बेचैनी फैल गई है।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस हाईकमान अब ऐसे नेताओं को चिन्हित कर रहा है जो लंबे समय से न तो जमीनी स्तर पर सक्रिय हैं और न ही पार्टी को चुनावी स्तर पर मजबूत करने में कोई भूमिका निभा रहे हैं। उत्तराखंड में भी कांग्रेस पार्टी के अंदर एक बड़ा वर्ग ऐसे नेताओं से छुटकारा पाना चाहता है, जिन्हें कार्यकर्ता “बरगद का पेड़” कहकर संबोधित करते हैं,जो खुद तो विशाल हैं, पर उनके नीचे कुछ नया पनपने नहीं देते।
उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धीरेन्द्र प्रताप ने राहुल गांधी के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि पार्टी को अब उन लोगों को आगे लाने की जरूरत है जो सक्रिय हैं, मेहनत कर रहे हैं और जनसरोकार से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, “अगर हमें बीजेपी के प्रभाव को उत्तराखंड में कम करना है तो युवाओं और एक्टिव कार्यकर्ताओं को आगे लाना होगा।”
राहुल गांधी की यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब उत्तराखंड में कांग्रेस संगठन लगातार आंतरिक कलह और निष्क्रियता से जूझ रहा है। ऐसे में यह बैठक केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि संगठनात्मक बदलाव की संभावनाओं के लिहाज़ से भी अहम मानी जा रही है।
नज़रें इस बात पर टिकी होंगी कि राहुल गांधी किन नेताओं को तरजीह देते हैं और किन्हें किनारे करने का संकेत देते हैं। पार्टी के अंदरूनी हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि उत्तराखंड कांग्रेस के भविष्य की दिशा अब इस बैठक के बाद तय होगी।