उत्तराखंड, हरकोट तल्ला गांव की रहने वाली, चंद्रयोगिता का जोर-शोर से स्वागत किया गया। वह 38वें राष्ट्रीय खेलों में लॉन बॉल में कांस्य पदक जीतकर दो महीने बाद घर लौटी हैं। उत्तराखंड के लोक वाद्ययंत्र ढोल-दमाऊं बजाकर, लोग चंद्रयोगिता और उनकी टीम का स्वागत करने उमड़ पड़े।
चंद्रयोगिता के पिताजी प्रधान हैं और माताजी एक गृहिणी हैं और घर के सारे कामकाज संभालती हैं, जैसे चारा लाना, लकड़ी लाना, और खेतीबाड़ी। चंद्रयोगिता अपनी मां की प्रिय बेटी है और हमेशा घर के कामों में उनकी मदद करती है।
जब चंद्रयोगिता दिल्ली में फेडरेशन नेशनल खेलने गईं, तो उनकी मां ने उन्हें जीतकर आने की बात कही थी। हालांकि वह क्वार्टर फाइनल में हार गईं, परंतु उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा, जिसके बाद उन्हें रामनगर में आयोजित दूसरे कैंप के लिए बुलाया गया। चंद्रयोगिता ने अपनी मां से वादा किया था कि वह इस बार जीतकर ही आएंगी। जब उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता, तब से उनकी मां ने खाना नहीं खाया और भावुक होकर रोती रहीं।
छह बहनों में चंद्रयोगिता तीसरी हैं, और तीन बहनों की शादी हो चुकी है। दो बहनें हरिद्वार में एक कंपनी में काम करती हैं, लेकिन चंद्रयोगिता ने अपने माता-पिता के साथ रहने का फैसला किया। उनके पिता ने उन्हें दिल्ली या देहरादून जाने की सलाह दी थी ताकि वे बेहतर कोचिंग प्राप्त कर सकें, लेकिन चंद्रयोगिता ने घर पर रहकर ही मेहनत करने की ठानी।
एक छोटे से गांव से निकली चंद्रयोगिता ने आज राष्ट्रीय खेलों में जगह बना कर सब का मान बढ़ा दिया है। चंद्रयोगिता का स्वागत गांव में बहुत धूमधाम से किया गया। आस-पास के गांवों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे और ढोल- दमाऊं के बीच उनका स्वागत किया। गांव में सबको जलेबी और समोसे परोसे गए।
चंद्रयोगिता अपने कॉलेज, गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज चौबट्टाखाल, पहुंची जहां कॉलेज के स्टाफ और छात्रों ने उनका सम्मान किया। इसके बाद चौबट्टाखाल के नौगांवखाल में बाजार समिति और स्कूल के बच्चों ने भी भव्य स्वागत किया।
पोखड़ा ब्लॉक में ‘सपनों की उड़ान’ कार्यक्रम का आयोजन में चंद्रयोगिता को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। पूर्व प्रमुख सुरेन्द्र सिंह रावत जी ने कार्यक्रम का पोस्टर अनावरण किया, और बच्चों ने उत्साह के साथ इसमें भाग लेते हुए फोटो ली।
चंद्रयोगिता की कड़ी मेहनत और परिवार का आशीर्वाद उन्हें इस सफलता तक लेकर आया। यह गांव की बेटी के संघर्ष और समर्पण की प्रेरणादायक कहानी है, जो सभी को गर्व महसूस कराती है।
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चंद्रयोगिता की कहानी jagritimedia से साझा करने के लिए, अनिरुद्ध रावत जी का साभार। अनिरुद्ध रावत जी का चंद्रयोगिता को आगे लेकर जाने में बड़ा योगदान रहा है।
फोटो साभार: अनिरुद्ध रावत