कभी पानी से डरने वाली धिनिधि, स्विमिंग में हासिल किए 9 स्वर्ण पदक, आज बनीं चैंपियन

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कर्नाटका की 14 वर्षीय धिनिधि देसिंघु ने अपनी मेहनत और संघर्ष के साथ पानी के डर को हराया और स्विमिंग की दुनिया में एक नई मिसाल कायम की है। उन्होंने हाल ही में 38वें राष्ट्रीय खेलों में 9 स्वर्ण पदक अपने नाम किए, साथ ही तीन राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़े।

उन्होंने 4 रिले गोल्ड, 5 इंडिविजुअल गोल्ड, 1 इंडिविजुअल सिल्वर, 1 रिले ब्रोंज जीते

धिनिधि का सफर वाकई बेहद प्रेरणादायक और साहसिक है। एक समय था जब पानी के नाम से ही उनका दिल घबराने लगता था। उन्हें लगता था कि पानी के पास जाना उनके लिए बिल्कुल नामुमकिन था। जब भी वह तालाब के पास जातीं, तो उनका डर बढ़ जाता और वह बिना सोचे-समझे वहां से भाग जातीं। यह डर इतना गहरा था कि वह उसे अपनी पूरी जिंदगी का हिस्सा मान चुकी थीं। लेकिन इस डर को मात देना उनके लिए एक विशाल चुनौती थी। हालांकि, उनकी माँ ने हमेशा उनका हौंसला बढ़ाया और उन्हें यकीन दिलाया कि वह इस डर को पार कर सकती हैं। माँ के समर्थन और विश्वास ने धिनिधि को ताकत दी, और उन्होंने धीरे-धीरे अपने भीतर के डर को छोड़ दिया। यह सफर जितना कठिन था, उतना ही प्रेरणादायक भी था, क्योंकि वह जानती थीं कि अगर वह हार मान लेंगी, तो उनका सपना अधूरा रह जाएगा। माँ के भरोसे ने उन्हें अपने डर पर विजय पाने की प्रेरणा दी और वह इसे हराने के लिए कदम दर कदम आगे बढ़ीं। इस प्रक्रिया में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी मेहनत और संकल्प ने उन्हें हर बार इस डर को पार करने में मदद की। धिनिधि के लिए यह सफर एक व्यक्तिगत जीत से कहीं अधिक था, क्योंकि इसने उन्हें यह सिखाया कि किसी भी कठिनाई को अगर पूरी मेहनत और आत्मविश्वास से झेला जाए, तो कोई भी बाधा कभी भी हमें रोक नहीं सकती। आज जब धिनिधि स्विमिंग की चैंपियन बनकर सामने आई हैं, तो यह उनकी माँ के विश्वास, अपनी मेहनत और उस अडिग संकल्प का प्रतिफल है, जिसने उन्हें पानी से डरने वाली बच्ची से स्विमिंग की दुनिया की चमकती हुई सितारे में बदल दिया।

धिनिधि ने अपने इस डर को धीरे-धीरे दूर किया और स्विमिंग की कठिन राह पर चल पड़ीं। वह कहती हैं, “मेरे माता-पिता और कोच के सहयोग के बिना यह संभव नहीं था। वे हमेशा मेरी प्रेरणा बने रहे और यही वजह है कि मैं आज यहां हूं।” उनका मानना है कि डर ही है जो हमें बहुत सी चीज़ों को करने से रोकता है, और हमें इस डर को हराकर आगे बढ़ना चाहिए।

स्विमिंग की चैंपियन बनने के बाद धिनिधि ने केटी लेडेकी को अपनी प्रेरणा बताया। वे कहती हैं, “केटी लेडेकी से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है, और उनकी तरह खुद को साबित करने की इच्छा हमेशा बनी रहती है।”

आज, जब धिनिधि का नाम स्विमिंग की दुनिया में लिया जाता है, तो लोग यह सोचने पर मजबूर होते हैं कि वही धिनिधि हैं , जो कभी पानी से डरती थी, अब स्विमिंग की दुनिया की चमकते सितारे बन चुकी हैं।


संवाददाता

देवांशी सिंह

देवांशी सिंह दून विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की एमए की छात्रा हैं। उन्हें साहित्य और पत्रकारिता में गहरी रुचि है। अपनी रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से, देवांशी युवा साहित्यिक एवं पत्रकारिता क्षेत्र में एक उभरती हुई आवाज बनकर सामने आ रही हैं।

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