अच्छे युद्धोपकरण की कमी से पैरिस ओलंपिक ट्रायल्स में आई कठिनाइयां, राष्ट्रीय खेलों में गोल्ड मेडल जीता

Slider sports देश संस्कृति

सेवा से जुड़े निशानेबाज नीरज कुमार ने हाल ही में 38वें राष्ट्रीय खेलों में 50 मीटर राइफल तीन पोजीशन पुरुष वर्ग में गोल्ड मेडल जीता, अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष से यह शानदार उपलब्धि हासिल की।

नीरज ने अपनी जीत के बाद बातचीत में बताया कि मानसिक शक्ति का खेल में बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है और असफलताओं को भी स्वीकार कर उनसे सीखना बेहद आवश्यक है। वह मानते हैं कि हम हमेशा जीत नहीं सकते, लेकिन हर असफलता हमें कुछ नया सिखाती है और हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

नीराज ने यह भी साझा किया कि पैरिस ओलंपिक ट्रायल्स से पहले उनके पास अच्छे युद्धोपकरण नहीं थे, जिसके कारण उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनका कहना था कि इस खेल में हर छोटी-सी चीज महत्वपूर्ण होती है और सही उपकरणों के बिना अच्छा प्रदर्शन करना मुश्किल हो जाता है। सही संसाधनों की कमी ने न केवल उनके खेल पर प्रभाव डाला, बल्कि मानसिक रूप से भी चुनौती पेश की। हालांकि, इस अनुभव ने उन्हें यह सिखाया कि उच्च गुणवत्ता के संसाधनों का होना कितनी जरूरी बात है, लेकिन इन कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने अपनी मानसिक ताकत और संघर्ष से इन समस्याओं का सामना किया और खेल में सुधार किया।

नीरज ने यह भी बताया कि निशानेबाजी एक महंगा खेल है, जिसमें सही उपकरण और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इस खेल में फंडिंग की अहम भूमिका है, क्योंकि बिना पर्याप्त वित्तीय समर्थन के खिलाड़ी अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर सकते। नीराज ने खुद भी अपनी शुरुआती दिनों में फंडिंग की समस्या का सामना किया था, लेकिन उन्हें भारतीय नौसेना का समर्थन मिला, जिसने उनके करियर को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण मदद की। उन्होंने यह भी बताया कि प्रायोजकों और फंडिंग के बिना इस खेल में सफलता प्राप्त करना बेहद कठिन होता है। सही संसाधन और वित्तीय समर्थन के बिना उच्च गुणवत्ता की ट्रेनिंग और उपकरण प्राप्त करना लगभग असंभव हो जाता है।

नीरज ने अपनी उपलब्धियों और संघर्षों से यह संदेश दिया कि खेल में सफलता के लिए केवल प्रतिभा नहीं, बल्कि सही संसाधनों और मानसिक ताकत का होना भी बेहद महत्वपूर्ण है।

______________________________________________

संवाददाता

देवांशी सिंह

देवांशी सिंह दून विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की एमए की छात्रा हैं। उन्हें साहित्य और पत्रकारिता में गहरी रुचि है। अपनी रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से, देवांशी युवा साहित्यिक एवं पत्रकारिता क्षेत्र में एक उभरती हुई आवाज बनकर सामने आ रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *